नई दिल्ली: घूस कांड में गिरफ्तार कार्ति चिदंबरम को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 6 मार्च तक सीबीआई की कस्टडी में भेजा. कार्ति चिदंबरम पर मीडिया कंपनी INX से घूस लेने का आरोप है. बता दें कि सीबीआई ने कार्ति चिदंबरम को आज कोर्ट में पेश किया और उन्हें 14 दिन की हिरासत में देने का आग्रह किया. कार्ति चिदंबरम को विशेष न्यायाधीश सुनील राणा के सामने पेश किया गया.
घर का खाना नहीं मिलेगा, दवाइयां ले जा सकेंगे
कोर्ट में कार्ति ने अपनी सोने की चेन पहनने की इजाज़त मांगी इसके पीछे धार्मिक वजह बताई. कोर्ट ने कहा कि चेन पहन सकते हैं. इसके साथ ही कोर्ट ने कार्ति के वकील को उनसे सुबह और शाम एक घंटे के लिए मिलने की इजाज़त दी. वकील ने कोर्ट में कार्ति के लिए घर का खाना लाने की इजाजत मांगी जिसे कोर्ट से खारिज कर दिया. उन्हें सिर्फ अपनी दवाइयां साथ ले जाने की इजाजत मिली है.
कार्ति की मां कोर्ट में उनके साथ बैठी थीं
कार्ति चिदंबरम की मां और वरिष्ठ वकील नलिनी चिदंबरम भी अदालत में कार्ति के पास बैठी दिखीं. कार्ति चिदंबरम के पक्ष में वकीलों की एक टीम खड़ी की गयी है. वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी उसकी अगुवाई कर रहे हैं. गौरतलब है कि सीबीआई ने कार्ति चिदंबरम को कल चेन्नई में गिरफ्तार और उन्हें दिल्ली लाया गया है.
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सुनवाई के दौरान CBI ने क्या कहा?
सुनवाई के दौरान सीबीआई ने दलील दी कि कार्ति को गिरफ्तार किए जाने का एक और आधार यह है कि एजेंसी ने आईएनएक्स मीडिया लिमिटेड की पूर्व निदेशक इंद्राणी मुखर्जी के 17 फरवरी को मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज किये थे. इंद्राणी ने अपने बयान में कहा था कि हयात होटल में आईएनएक्स मीडिया की तरफ से कार्ति को 10 लाख अमेरिकी डॉलर की राशि दी गई थी.
कार्ति के वकील ने गिरफ्तारी को बेबुनियाद बताया
सीबीआई की दलीलों का विरोध करते हुए कार्ति के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह एक बेतुका मामला है और गिरफ्तारी का कोई आधार नहीं बनता है. उन्होंने दलील दी कि कार्ति को सीबीआई ने पिछले साल दो बार 23 अगस्त और 28 अगस्त को तलब किया था और एजेंसी ने उनसे 22 घंटों तक पूछताछ की थी और इस दौरान कार्ति ने सभी सवालों के जवाब दिए थे.
सिंघवी ने कहा, “इन दो दिनों के बाद, उन्हें सीबीआई की तरफ से एक बार भी नहीं बुलाया गया. 180 दिन की चुप्पी के बाद वे कहते है कि कार्ति सहयोग नहीं कर रहे हैं.’’उन्होंने दावा किया कि गिरफ्तारी के लिए कोई कारण नहीं दिया गया. उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा इसलिए है क्योंकि सीबीआई अपने बॉस को दिखाना चाहते हैं कि ये कुछ काम कर रहे हैं.’’
वकील ए एम सिंघवी ने कहा कि कार्ति सीबीआई के साथ सहयोग कर रहे हैं और एजेंसी की हिरासत से रिहा करते समय अदालत कोई भी शर्त लगा सकती है. सिंघवी ने अदालत को बताया की कार्ति न्याय से भागे नही हैं.
कार्ति चिदंबरम पर क्या आरोप हैं?
आईएनएक्स मीडिया को विदेशी फंड आने के बाद वित्त मंत्रालय से अनुमति दिलायी जबकि FIPB यानी फॉरेन इनवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड को विदेशी फंड मिलने के पहले अनुमति देनी थी. बोर्ड ने पहले ये अनुमति महज 4.62 करोड़ रुपये के लिए दी थी.
आरोप है कि उसके बावजूद 2007 में 305 करोड रुपये गैरकानूनी तरीके से आए. मॉरीशस के निवेशकों का पैसा आने के बाद पीटर मुखर्जी ने कार्ति चिदंबरम से संपर्क किया. जिसके बाद वित्त मंत्रालय की ओर से अनुमति मिल गई. जांच एजेंसियो के मुताबिक ये पैसा कार्ति से जुड़ी कंपनियो के पास भेजा गया था. दावा किया जा रहा है कि इसमें से 5 करोड़ रुपये का पता लग चुका है.
इस मामले में कार्ति चिदंबरम के अलावा इंदाणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी भी आरोपी हैं. 2017 में 15 मई को सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की थी. इसी मामले में ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज किया था. इस मामले में याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी सीधे तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम को कठघरे में खड़ा करने की मांग कर रहे हैं.
पी चिदंबरम तक पहुंच सकती है जांच की आंच
सीबीआई सूत्रों के मुताबिक इस मामले की जांच की आंच पूर्व वित्त मंत्री पी चिदबंरम तक भी पहुंच सकती है क्योंकि विदेश से आने वाले फंड पर उन्होने भी अपनी अनुमति दी थी. कार्ति से पूछताछ के आधार पर वित्त मंत्रालय के कुछ पूर्व और वर्तमान बडे अधिकारियों से पूछताछ और गिरफ्तारी हो सकती है.