Kasba Byelection Result 2023: पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड में कांग्रेस पार्टी को भले ही निराशा हाथ लगी हो, लेकिन 5 राज्यों के उपचुनाव के नतीजों ने पार्टी का मनोबल बढ़ाया है. सबसे बड़ा उलटफेर महाराष्ट्र के पुणे जिले की कसबा सीट पर हुए उपचुनाव में देखने को मिला. यहां कांग्रेस पार्टी ने बीजेपी के अभेद्य गढ़ को ध्वस्त कर दिया. बीजेपी इस सीट पिछले 27 साल से जीत दर्ज करती आई थी. इस उपचुनाव में कांग्रेस के रविंद्र धंगेकर ने बीजेपी के हेमंत रसाने को हराया है.


कसबा सीट हारना बीजेपी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. हालांकि महाराष्ट्र बीजेपी के उपाध्यक्ष संजय काकड़े इस बात को नहीं मानते हैं. हिंदी न्यूज वेबसाइट आजतक से बात करते हुए उन्होंने कहा, "हम हारे जरूर हैं, लेकिन ये कांग्रेस की जीत नहीं बल्कि रविंद्र धंगेकर की जीत है. पिछली बार कॉर्पोरेशन चुनाव में धंगेकर ने निर्दलीय जीत हासिल की थी. उसे 18 हजार के करीब वोट हासिल हुए थे."


'कांग्रेस-बीजेपी का मुकाबला नहीं था'


बीजेपी नेता ने कहना है कि इस सीट पर मुकाबला बीजेपी या कांग्रेस का नहीं था, बल्कि धंगेकर और रसाने के बीच था. उन्होंने कहा, "धंगेकर को जिताने के लिए एनसीपी, कांग्रेस और उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना ने पूरी ताकत लगा दी थी. उनके बड़े-बड़े नेताओं ने प्रचार किया था. हमारे तो केवल स्टेट के नेताओं ने प्रचार किया. जो हार हुई उसे हमने कबूल की है." 


कैंडिडेट कमजोर पड़ गया- काकड़े


टिकट देने में गलती होने के सवाल पर काकड़े ने कहा, "कैंडिडेट ने खुद स्वीकार किया है कि हमसे गलती हुई है. यहां जनता ने इलेक्शन हाथ में लिया था. अगली बार हम धंगेकर के टक्कर का कैंडिडेट देंगे. जैसे राजस्थान में लोग वसुंधरा राजे से नाराज थे और अशोक गहलोत को मौका दे दिया, लेकिन 4 महीने बाद लोकसभा में हमें पूरी सीटें मिलीं. इसी तरह यहां धंगेकर का प्रभाव था. कैंडिडेट ने खुद अपनी गलती मानी है. उसकी लोकप्रियता कम पड़ गई."


कसबा सीट गंवाने का दर्द झलका


पार्टी से गलती होने के सवाल पर उन्होंने कहा, "धंगेकर बहुत लोकप्रिय था. सर्वे में भी ये साबित हुआ था. हमारा सर्वे गलत हो गया था. उस सर्वे के कारण दिल्ली से नाम आया था. ये धंगेकर की जीत है, कांग्रेस की पार्टी की जीत नहीं है और यह बीजेपी की हार नहीं है." 27 साल बाद सीट गंवाने को उन्होंने बड़ा झटका माना और इसे पार्टी के लिए काला दिन बताया. उन्होंने कहा, "यदि 5-10 साल की कोई सीट चली जाती तो दुख नहीं होता. 27 साल की सीट हार जाने पर दुख हुआ. आगे हम जिसकी ताकत होगी, उसे ही टिकट देंगे."


बीजेपी पर आदित्य ठाकरे का वार


वहीं कसबा जीत जीतने से महा विकास अघाड़ी गठबंधन के हौसले काफी बुलंद हैं. उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने कहा, "यह महाविकास अघाड़ी की जीत है, जिस तरह से पार्टी तोड़ी गई और उसे महाराष्ट्र की जनता ने देखा है. कांग्रेस ने यह सीट बीजेपी से छीनी है." 


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