नई दिल्ली: यूपी का कासगंज शहर इस समय सांप्रदायिक हिंसा की आग में जल रहा है. कासगंज में शुक्रवार को सांप्रदायिक हिंसा भड़की जिसकी आग में चंदन गुप्ता की जान चली गई तो मोहम्मद अकरम की एक आंख की रोशनी हमेशा के लिए जाती रही. अब धीरे धीरे शहर के हालात सामान्य हो रहे हैं.


आइए कुछ और करीब से जानते हैं कासगंज के बारे में...


कासगंज का इतिहास


अलीगढ़ मंडल में पड़ने वाला जिला कासगंज यूपी का 71वां जिला है. इस जिले का गठन इटावा जिले से 15 अप्रैल 2008 को तीन तहसीलों - कासगंज, पटियाली और साहवार को अलग करके किया गया था. जिले के गठन के दौरान कासगंज का नाम दिग्गज राजनीतिज्ञ श्री कांशी राम के नाम पर रखने का निर्णय तत्तकालीन यूपी की मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी केी अध्यक्ष मायावती ने लिया था.


मायावती का यह निर्णय वहां के वकीलों को नागवार गुजरा, इसके विरोध में वकील धरने पर बैठ गए. वकीलों की मांग थी कि चूंकि, रामचरितमानस के रचयिता और महान कवि तुलसीदास का जन्म इस जिले के सोरोन में हुआ था, इसलिए इस जिले का नाम उनके नाम के अनुरूप होना चाहिए. साल 2012 में इस जिले का नाम वापस से बदल कर कासगंज कर दिया गया. अलीगढ़ मंडल में पड़ने वाले इस जिले के निकटवर्ती जिलों में एटा, अलीगढ़ और हाथरस जिले पड़ते हैं.


कासगंज का भौगोलिक विस्तार


काली नदी के तट पर बसा यह शहर हिमालय की तलहटी के नजदीक है. गंगा और यमुना नदियों के दोआब के क्षेत्र में होने के चलते यहां की जमीन काफी उपजाऊ है. आसपास के गांवों की एक बड़ी जनसंख्या कृषि से संबंधित आर्थिक गतिविधियों पर निर्भर है.


कासगंज की जनसंख्या
2011 की जनगणना के अनुसार कासगंज जिले की आबादी 1,438,156 है, जो स्वाज़ीलैण्ड देश या अमेरिका के राज्य हवाई की जनसंख्या के बराबर है. जनसंख्या के लिहाज से भारत में 640 जिलों में कासगंज का स्थान 345वां है. कासगंज जिले के लिंगानुपात की बात करें तो 2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक 1,000 पुरुषों की तुलना में 940 महिलाओं का औसत अनुपात है. कासगंज हिंदू बहुल जिला है. जिले में 84.32 प्रतिशत हिंदू रहते हैं, तो वहीं कासगंज में मुसलमानों की आबादी 14.88 प्रतिशत है.


2011 की जनगणना में कासगंज जिले की साक्षरता दर 61.02 प्रतिशत थी, जो 2001 की जनगणना के मुकाबले 12.34 प्रतिशत बढ़ी है. 2001 की जनगणना में कासगंज की साक्षरता दर महज 48.68 प्रतिशत थी.


2011 की जनगणना के मुताबिक अगर पुरुष और महिलाओं की साक्षरता की बात करें तो कासगंज के 100 में से 71 पुरुष साक्षर हैं जबकि महिलाओं में आधी आबादी से ज्यादा (51 फीसदी) साक्षार नहीं हैं.


कासगंज में विधानसभा की तीन सीटें हैं.