कासगंज की सांप्रदायिक हिंसा उत्तर प्रदेश के लिए कलंक है: गवर्नर राम नाईक
पश्चिमी यूपी के कासगंज में 26 जनवरी को विश्व हिन्दू परिषद और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के लोगों ने तिरंगा यात्रा निकाली. आरोप है कि एक समुदाय विशेष के लोगों ने बाइक पर निकली तिरंगा यात्रा पर पथराव किया जिसके बाद हिंसा भड़क गई.
लखनऊ: कासगंज में भड़की सांप्रदायिक हिंसा को सूबे के राज्यपाल राम नाईक ने उत्तर प्रदेश के लिए कलंक बताया है. घटना के चौथे दिन अपनी पहली प्रतिक्रिया में राम नाईक ने कहा कि जांच के बाद ही घटना की सच्चाई का पता चल सकेगा.
उन्होंने कहा, "कासगंज में जो हुआ वो किसी के लिए शोभा दायक नहीं है. किसने प्रारंभ किया. किसने जवाब दिया. ये बात जांच के बाद बाहर आएगी, लेकिन निश्चित तौर पर ये घटना उत्तर प्रदेश पर कलंक है."
राज्यपाल ने आगे कहा कि सरकार इस घटना की जांच कर रही है जो लोग शांति के साथ संघर्ष करते हैं. शांति को भंग करने की कोशिश करते हैं उनकी जितनी भी निंदा की जाए कम है.
योगी अब तक खामोश
खास बात ये है कि इतनी बड़ी हिंसा के बाद भी सीएम योगी आदित्यनाथ अब तक खामोश हैं. इलाहाबाद में एक कार्यक्रम में पहुंचे योगी ने हिंसा पर कुछ भी बोलने से खुद को दूर रखा.
इससे पहले इस घटना को लेकर विपक्षी पार्टियों ने योगी सरकार पर निशाना साधा. अखिलेश यादव ने कहा कि यह सरकार की नीति है कि लोग भय में रहे, अगर जनता भय में रहेगी तो उनकी ज्यादा सुनेगी. समाजवादी पार्टी ने यहां तक कहा कि यह बीजेपी की साजिश है.
हालांकि, राज्य की बीजेपी सरकार इस मामले में अपना बचाव कर रही है. सरकार का कहना है कि उपद्रवियों से शख्ती से निपटा जा रहा है और इसमें शामिल लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. वहीं सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि बीजेपी का नाम खराब करने की यह कांग्रेस की साजिश है.
क्या है पूरा मामला?
पश्चिमी यूपी के कासगंज में 26 जनवरी को विश्व हिन्दू परिषद और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के लोगों ने तिरंगा यात्रा निकाली और जबरन एक समुदाय विशेष के मोहल्ले में हंगामा किया जिसके बाद लोगों ने बाइक पर निकली तिरंगा यात्रा पर पथराव किया जिसके बाद हिंसा भड़क गई. हिंसा में चंदन नाम के युवक की मौत हो गई, जबकि अकरम की आंख चली गई.