वारणसीः उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के काशी विश्वनाथ परिसर में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि इस मामले की जांच पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग करे और इसका सारा खर्च राज्य सरकार उठाएगी. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मस्जिद के पूरे परिसर का आर्कियोलॉजिल सर्वे करने का आदेश जारी कर दिया है. कोर्ट के इस आदेश के बाद यह मामला विवादित हो गया है.


बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष दावा करता रहा है कि विवादित ढांचे के फर्श के नीचे आदि विशेश्वर का स्वयम्भू ज्योतिर्लिंग स्थापित है. दावे के मुताबिक इस ज्योतिर्लिंग की ऊंचाई 100 फीट है.


क्या है विवाद


याचिकाकर्ता का कहना है कि काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करीब 2,050 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने करवाया था. लेकिन मुगल सम्राट औरंगजेब ने साल 1664 में मंदिर को तोड़वा दिया. याचिका में दावा किया गया कि मंदिर के अवशेषों का उपयोग मस्जिद बनाने के लिए किया था. दावे में कहा गया है कि मस्जिद का निर्माण मंदिर भूमि पर किया गया है जो कि अब ज्ञानवापी मस्जिद के रूप में जाना जाता है.


याचिकाकर्ता ने अपने अपील में कहा है कि कोर्ट मंदिर की जमीन से मस्जिद को हटाने का निर्देश जारी कर दें और इस जमीन को मंदिर ट्रस्ट के कब्जे में दे दिया जाए.


कोर्ट का आदेश


- सिविल कोर्ट ने आर्कियोलॉजिकल ऑफ इंडिया को ज्ञानवापी मस्जिद के पूरे परिसर का सर्वे करने का आदेश दिया है.


- कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के पूरे परिसर का आर्कियोलॉजिल सर्वे करने का आदेश दिया है.


- सिविल कोर्ट ने इस मामले में 5 विशेषज्ञों की टीम भी गठित की है, जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय के 2 लोग शामिल होंगे.


- कमेटी जांच करेगी कि क्या मौजूदा ढांचा किसी इमारत को तोड़कर बना है या फिर इमारत में कुछ जोड़कर मौजूदा ढांचा बना है.


- मौजूदा ढांचा किस शैली का बना है और कितना पुराना है इस बात की भी जांच करेगा.


- मस्जिद की खुदाई कर ASI मंदिर पक्ष के दावे की प्रमाणिकता की जांच करेगी


सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का बयान


कोर्ट के फैसले के बाद उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का कहना है कि इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी जाएगी. बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारूकी ने लखनऊ में इस बात की जानकारी दी.


बोर्ड का साफ मानना है कि यह मामला पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम- 1991 के दायरे में आता है. इस कानून को अयोध्या मामले की सुनवाई करने वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने बहाल रखा था. इस कारण ज्ञानवापी मस्जिद का दर्जा किसी भी तरह के संदेह से मुक्त है.


पुरातात्विक सर्वेक्षण का आदेश


गौरतलब है कि वाराणसी की सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक दीवानी अदालत ने बृहस्पतिवार को काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े मामले में विवादित परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया है. अदालत ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को अपने खर्च पर यह सर्वेक्षण कराने का आदेश जारी किया है.


कौन है याचिकाकर्ता


विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि साल 2019 में दीवानी कोर्ट में उन्होंने स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर काशी विश्वनाथ की ओर से वाद मित्र के रूप में आवेदन दिया था. उन्होंने दावा किया कि ज्ञानवापी मस्जिद विश्वेश्वर मंदिर का एक अंश है.


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