कर्नाटक में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए शुक्रवार को बेल्लारी में प्रचार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिल्म 'द केरल स्टोरी' का जिक्र किया. फिल्म की कहानी 4 लड़कियों पर आधारित है. फिल्म में ये लड़कियां इस्लाम धर्म अपना कर इस्लामिक स्टेट (ISIS) की सदस्य बन जाती हैं. 


पीएम ने चुनाव प्रचार के दौरान ये कहा कि केरल स्टोरी के बारे में बहुत चर्चा हो रही है. ये फिल्म देश के भीतर से खोखला करने की चालों को उजागर करती है. द केरल स्टोरी ऐसे राज्य में पनप रहे आतंकी साजिश का पर्दाफाश करती है जहां के लोग खूबसूरत, मेहनती और प्रतिभाशाली हैं. ये देश का दुर्भाग्य ही है कि कांग्रेस आज ऐसे आतंकी तत्वों के साथ खड़ी है जिन्होंने देश को बर्बाद कर दिया है. राज्य के लोगों को कांग्रेस से सावधान रहने की जरूरत है. 


ऐसा पहली बार नहीं जब बीजेपी या पीएम मोदी ने किसी फिल्म का समर्थन किया है. अतीत में कई विवादित फिल्मों के नामों का जिक्र बीजेपी और पीएम मोदी ने किया है. इन फिल्मों को टैक्स में छूट या सोशल मीडिया पर बयानों के जरिए बीजेपी का समर्थन मिला  है. आइये इन फिल्मों पर एक नजर डालते हैं. 


29 मई 2022 को 89 वें  मन की बात संबोधन में पीएम  मोदी ने 'रामायण: द लीजेंड ऑफ प्रिंस राम' के बारे में बात की. यह फिल्म भारत और जापान की सह-निर्मित फिल्म थी. 1993 में रिलीज हुई यह पहली एनिमेशन फिल्म थी.


पीएम मोदी ने इस फिल्म के बारे में क्या कहा था ?


मन की बात में पीएम मोदी ने फिल्म का जिक्र करते हुए कहा था कि करीब 40 साल पहले 1983 में जापान के बहुत प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक यूगो सकोजी को रामायण के बारे में पता चला था. पीएम मोदी ने कहा कि साको को 'रामायण' ने प्रभावित किया. साको ने महाकाव्य के बारे में गहन शोध करना शुरू कर दिया. उन्होंने जापानी भाषा में रामायण के 10 संस्करण पढ़े, और एनिमेशन के जरिए इसे दुनिया के सामने पेश किया. 


कश्मीर फाइल्स


मार्च 2022 में चार राज्यों में विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने के बाद बीजेपी सांसदों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कश्मीरी पंडितों पर हमलों और 1990 के दशक में घाटी से उनके पलायन पर बनी फिल्म द कश्मीर फाइल्स का जिक्र किया था. फिल्म को 6 बीजेपी शासित राज्यों में टैक्स फ्री कर दिया गया था. 


कश्मीर फाइल्स को लेकर पीएम मोदी ने क्या कहा था ?


मार्च 2022 में संसदीय दल की बैठक में पीएम मोदी ने सभी सांसदों से कहा कि कश्मीर फाइल्स एक बहुत अच्छी फिल्म है, वे कश्मीर फाइल्स जरूर देखें. इस तरह की और फिल्में बननी चाहिए. 


पीएम मोदी ने आगे ये कहा कि पिछले कुछ दिनों से लोग इस फिल्म पर चर्चा कर रहे हैं. जो लोग आमतौर पर अभिव्यक्ति की आजादी की वकालत करते आए हैं आज वे अचानक इस फिल्म के आने के बाद उत्तेजित हो गए हैं. ये लोग फिल्म की खूबी और कलाकारों की सराहना नहीं कर रहे हैं . देश में कुछ लोग एक ऐसा माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं जो इतनी शानदार फिल्म को बदनाम करने के लिए बेकार की मेहनत कर रहा है. 


पीएम मोदी ने फिल्म को बदनाम करने की कोशिशों पर सवाल उठाते हुए कहा था कि ये फिल्म का तथ्यों पर आधारित है. कोई सच उजागर करने की कोशिश करता है तो लोग उसके खिलाफ बोलना शुरू कर देते हैं, लेकिन असली सच्चाई ये है कि हम सच को नामंजूर नहीं कर सकते. सच चाहे जितना कड़वा हो उसे दुनिया देख रही है. 


असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने 16 मार्च 2022 को फिल्म कश्मीर फाइल्स को सरकारी कर्मचारियों को आधे दिन का विशेष अवकाश देने की घोषणा की थी. 


कर्नाटक में भाजपा विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने घोषणा की थी कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र विजयपुरा में इस फिल्म को मुफ्त में दिखाएंगे. यह फिल्म बीजेपी और  आम आदमी पार्टी के बीच टकराव का मुद्दा भी बनी थी. 


बीजेपी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से फिल्म द कश्मीर फाइल्स को टैक्स फ्री करने की भी मांग की थी.इसका जवाब देते हुए अरविंद केजरीवाल कहा था कि फिल्म को यूट्यूब पर अपलोड किया जाए ताकि पूरा देश कश्मीरी पंडितों की दुर्दशा को समझ सके. 


दूसरी तरफ कांग्रेस ने इस फिल्म को नफरत भड़काने वाली फिल्म बताया था. पार्टी के संचार प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने फिल्म की रिलीज के बाद ट्वीट किया, "कुछ फिल्में बदलाव के लिए प्रेरित करती हैं. कश्मीर फाइल नफरत को भड़काती है.  फिल्म में प्रोपेगैंडा तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करता है. ये फिल्म गुस्से को भड़काने और हिंसा को बढ़ावा देने के लिए इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करती है.  राजनेता घावों को भरने का काम करते हैं, लेकिन इस फिल्म की मदद से कुछ नेता लोगों में भय पैदा करना चाहते हैं और पूर्वाग्रह का फायदा उठा रहे हैं. 


पीएम नरेंद्र मोदी


2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन पर बनी फिल्म 'पीएम नरेंद्र मोदी' ने बहुत चर्चा बटोरी थी.  इस फिल्म को लेकर विपक्ष का ये कहना था कि ये फिल्म पीएम को खुश करने के लिए ही बनाई गई है. 


2019 के लोकसभा चुनावों के समय ये फिल्म 11 मई को रिलीज होने वाली थी. इसका ट्रेलर महाराष्ट्र बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने लॉन्च किया था.


फिल्म को लेकर कांग्रेस ने चुनाव आयोग (ईसी) के पास शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया कि ये फिल्म खास पार्टी के नेताओं और खास किस्म की  राजनीति को प्रेरित करती है. 


आखिरकार, चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता का हवाला देते हुए 19 मई को अंतिम चरण के मतदान तक फिल्म की रिलीज पर रोक लगा दी यह फिल्म 24 मई, 2019 को रिलीज़ हुई थी. 


द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर


साल 2019 की शुरुआत में बीजेपी के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की बायोपिक फिल्म द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर का ट्रेलर शेयर किया गया था. बीजेपी के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल ने ट्वीट किया, "एक परिवार ने कैसे देश को 10 साल तक बंधक बनाकर रखा, इसकी दिलचस्प कहानी.  क्या डॉ. सिंह सिर्फ एक रीजेंट थे जो उत्तराधिकारी तैयार होने तक पीएम की कुर्सी पर बैठे थे? 


महाराष्ट्र के विधायक रत्नाकर गुट्टे के बेटे विजय रत्नाकर गुट्टे द्वारा निर्देशित इस फिल्म को सिंह का मजाक उड़ाने के लिए काफी पसंद किया गया था. 


कांग्रेस का यूथ विंग इस फिल्म की रिलीज से पहले देखने की मांग कर रहा था. यूथ कांग्रेस के महाराष्ट्र के प्रदेश अध्यक्ष सत्यजीत टाम्बे ने फिल्म के प्रोड्यूसर और डायरेक्टर को पत्र लिखकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी.  इसे रिलीज से पहले दिखाने की मांग की थी. बता दें यह फिल्म पूर्व प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू द्वारा लिखी गई इसी नाम की किताब पर आधारित है. 


उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक


2019 में ही उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक की रिलीज हुई, जो पाकिस्तानी आतंकवादी के  भारत पर  किए गए हमलों पर आधारित थी.  मुंबई में भारतीय सिनेमा के राष्ट्रीय संग्रहालय के उद्घाटन समारोह में मोदी ने फिल्म के एक संवाद का हवाला देते हुए दर्शकों से पूछा, "जोश कैसा है?" फिल्मी दुनिया की कई हस्तियों समेत भीड़ ने तालियों के साथ पीएम मोदी के सवाल में "हाई, सर!" कहा था. 


टॉयलेट: एक प्रेम कथा


जून 2017 में पीएम मोदी ने फिल्म टॉयलेट: एक प्रेम कथा की तारीफ की थी. ये फिल्म हर घर में शौचालय होने पर जोर देती है जो सरकार के मिशन का भी जिक्र करती है.  फिल्म के ट्रेलर को साझा करते हुए मोदी ने लिखा था,  "स्वच्छता के संदेश को आगे बढ़ाने के लिए अच्छा प्रयास है.  125 करोड़ भारतीयों को स्वच्छ भारत बनाने के लिए मिलकर काम करना जारी रखना होगा.


पठान 


इस साल जनवरी में मोदी ने अपने भाषण में फिल्म पठान का जिक्र किया था.  बता दें कि  शाहरुख खान अभिनीत फिल्म पठान को लेकर हिंदू दक्षिणपंथियों ने जमकर विरोध किया था. फिल्म का विरोध कुछ बीजेपी नेताओं ने भी किया था. प्रधानमंत्री ने दिल्ली में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कहा था कि पार्टी नेताओं को सुर्खियां बटोरने के लिए फिल्मों और हस्तियों के खिलाफ 'अनावश्यक टिप्पणी' करने से बचना चाहिए.


बता दें कि फिल्म पीएम नरेंद्र मोदी' को लेकर ये कहा गया था कि ये फिल्म पीएम मोदी और उनके कार्यों और योजनाओं का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन करती है. ऐसी फिल्मों की लिस्ट में 'टॉयलेट एक प्रेमकथा', 'सुई धागा', 'उरी', 'एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर', 'मेरे प्यारे प्रधानमंत्री' का नाम शामिल है. आपको बता दें कि ऐसा देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जमाने से ऐसा होता आ रहा है.



ऐसी कई फिल्में हैं जो तत्कालीन प्रधानमंत्री की योजनाओं, उपलब्धियों और उनके कार्यों आदि की खूब सराहना में बनाई गयी या फिर प्रधानमंत्री के कहने से फिल्मकारों ने फिल्म बनायी.




इसकी बड़ी मिसाल सन 1964 में आई फिल्म 'हकीकत' भी है. फिल्मकार चेतन आनंद द्वारा बनाई गई यह फिल्म नेहरू युग में हुए भारत-चीन युद्ध को लेकर थी.


इंदिरा गांधी के दौर में फिल्म 'मंथन' और प्रधानमंत्री राजीव गांधी के दौर में 'सुसमन'



फिल्मकार श्याम बेनेगल ने भी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के दौर में फिल्म 'मंथन' और प्रधानमंत्री राजीव गांधी के दौर में 'सुसमन' को बनाया था.  1976 में आई 'मंथन' फिल्म इंदिरा युग में हुई गुजरात की दुग्ध क्रांति पर फोकस थी तो 1987 में आई 'सुसमन' तब के हथकरघा उद्योग के विकास को लेकर थी. बता दें कि यशराज फिल्म्स ने अनुष्का शर्मा और वरुण धवन को लेकर फिल्म 'सुई धागा' बनायीं, जो पीएम मोदी के मेक इन इंडिया और स्किल इंडिया जैसे अभियान पर थी. 


शास्त्री जी के कहने पर बनी 'उपकार'


साल 1967 में आई फिल्म उपकार ने लोकप्रियता और सफलता के  नए आयाम बनाए ही साथ ही देश भक्ति की फिल्मों को भी एक नयी धारा दी.लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि 'उपकार' जैसी फिल्म बनाने की सलाह मनोज कुमार को तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने दी थी. असल में 'उपकार' फिल्म शास्त्री जी के नारे 'जय जवान जय किसान' पर आधारित थी.


मोरारजी देसाई के समय 'नसबंदी'


आईएस जौहर ने सन 1978 में प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की हकूमत में  'नसबंदी' फिल्म बनाकर इंदिरा गांधी का जबरदस्त विरोध किया.