नई दिल्ली: कश्मीर पर अमेरिकी राष्ट्रपति के मध्यस्थता वाले बयान पर लोकसभा में आज भी जोरदार हंगामा हुआ. विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान के बावजूत कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर अड़ा है. विपक्ष की ओर से हो रहे हंगामे को देखते हुए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसबा में बयान दिया. उन्होंने कहा कि जून के महीने में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच बात हुई थी लेकिन कश्मीर के मुद्दे पर कोई बातचीत नहीं हुई. उन्होने यह भी कहा कि पाकिस्तान के बातचीत में मध्यस्थता का सवाल ही पैदा नहीं होता. उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान के साथ बात होती तो कश्मीर पर ही नहीं पाक अधिकृत कश्मीर पर भी होगी. राजनाथ सिंह के जवाब के बाद कांग्रेस सदन से कल की तरह वॉकआउट कर गई.


क्या बोले राजनाथ सिंह?
राजनाथ सिंह ने कहा, ''कांग्रेस नेता की ओर से कहा गया था कि मुद्दा उठाने की इजाजत दी जाए, उसके बाद सत्ता पक्ष की ओर से जो भी कहा जाएगा उसे मैं सुनूंगा. लेकिन ऐसा ना करके उन्होंने वादाखिलाफी की है. जहां तक हमारे प्रधानमंत्री और अमेरिका के राष्ट्रपति के बीच बातचीत का प्रश्न है तो यह सच है कि जून के महीने में दोनों के बीच बात हुई थी. लेकिन हमारे विदेश मंत्री ने बयान देते समय यह स्पष्ट कर दिया है कि कश्मीर के मुद्दे पर कोई बातचीत नहीं हुई थी. मैं समझता हूं कि इससे प्रमाणित बयान किसी का नहीं हो सकता क्योंकि जब मोदी जी और ट्रंप के बीच बातचीत हो रही थी तो जयशंकर जी वहां मौजूद थे.''





राजनाथ सिंह ने आगे कहा, ''मैं यह भी स्पष्ट करना चाहता हूं कि कश्मीर के मुद्दे पर किसी की मध्यस्थता स्वीकार करने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता. क्योंकि हम इस सच्चाई को जानते हैं कि यह निश्चित तौर पर शिलमा समझौते के खिलाफ होगा. कश्मीर के मुद्दे पर हम किसी की मध्यस्थता इसलिए भी स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि यह हमारे राष्ट्रीय स्वाभिमान का विषय है. हम हर चीज से समझौता कर सकते हैं लेकिन राष्ट्रीय स्वाधीनता से समझौता नहीं कर सकते. मैं भी स्पष्ट करना चाहता हूं कि अगर पाकिस्तान से बात होगी तो सिर्फ कश्मीर पर नहीं बल्कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर भी होगी.''


कल विदेश मंत्री एस जयशंकर ने क्या कहा था?
विपक्ष के हंगामे के बाद मंगलवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बयान दिया था. उन्होंने कहा, ''मैं स्पष्ट तौर पर सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि मोदी ने कभी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मध्यस्थता के लिए नहीं कहा. कश्मीर भारत-पाक का द्विपक्षीय मुद्दा है. इसे दोनों देश मिलकर सुलझाएंगे. पाकिस्तान पहले आतंकवाद पर लगाम लगाए. कश्मीर मसले पर शिमला और लाहौर संधि के जरिए ही आगे बढ़ेंगे.'' इससे पहले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता भी रवीश कुमार ने भी अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान का खंडन किया था. उन्होंने भी कहा कि पीएम मोदी की ओर ऐसी कोई भी मांग नहीं की गई.


डोनाल्ड ट्रंप ने कश्मीर को लेकर क्या दावा किया था?
अमेरिका राष्ट्रपति ने इमरान खान की मौजूदगी में कहा, ''मैं दो हफ्ते पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ था. हमारे बीच इस मसले पर बातचीत हुई. उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या आप इस मसले पर मध्यस्थता करना चाहेंगे. मैंने पूछा- कहां. उन्होंने कहा कि कश्मीर. मैं आश्चर्यचकित हो गया. यह मसला काफी लंबे समय से चला आ रहा है.'' ट्रंप ने आगे कहा, ''मुझे लगता है कि वे हल चाहते हैं, आप हल चाहते हैं और अगर मैं मदद कर सकता हूं तो मुझे मध्यस्थता करके खुशी होगी. दो बेहद शानदार देश, जिनके पास बहुत स्मार्ट लीडरशिप है वे इतने सालों से ये मसला हल नहीं कर पा रहे हैं. अगर आप चाहते हैं कि मैं मध्यस्थता करूं तो मैं यह करूंगा.''