Kashmir News: प्रवासी मजदूरों पर हमले के बाद लोग छोड़ रहे हैं घाटी, पढ़िए बिहार के हीरालाल साहू का दर्द
Kashmir News: पलायन करने वाले लोगो में बिहार के हीरालाल साहू भी शामिल हैं. 40 साल के हीरालाल साहू दुखी मन से अपनी पत्नी और तीन बेटियों के साथ वापस घर लौट रहे हैं.
Jammu Kashmir News: पिछले कुछ दिनों में प्रवासी मजदूरों पर हुए हमलों के बाद से बड़ी संख्या में लोग पलायन कर रहे हैं. श्रीनगर के टूरिस्ट रिसेप्शन सेंटर में आजकल काफी भीड़ देखी जा रही है. यही वो जगह है जहां कश्मीर आने जाने वाले ज्यादातर लोगों का पहला पड़ाव होता है. श्रीनगर के लाल चौक के पास बनी इस जगह से ही श्रीनगर से बाकी प्रदेश के लिए बस और टैक्सी चलती है.
पलायन करने वाले लोगो में बिहार के हीरालाल साहू भी शामिल हैं. बिहार के रहने वाले 40 साल के हीरालाल साहू, जो अपनी पत्नी और तीन बेटियों के साथ वापस घर लौट रहे हैं. साहू श्रीनगर के कमरवारी इलाके में एक छोटी सी चाय और पकौड़े की दुकान चला रहे थे. वह कश्मीर 1996 में पहली बार आए और फिर यहीं का होकर रह गए. पहले गोलगप्पे बेचे और फिर चाय बेचने का काम किया. कई बार बीच में मजदूरी भी की और आजकल अपने परिवार के साथ चाय और पकौड़े की दुकान चला रहे थे.
बिहार के हीरालाल काफी दुखी मन से यहां से जा रहे हैं. वो कहते हैं कि "पिछले 25 सालो में हम पर ऐसा ज़ुल्म किसी ने नहीं किया जो अब हो रहा है. कश्मीर छोड़ कर जाने का गम उसके चेहरे पर साफ दिख रहा था. आंखू से आंसू छलक रहे थे. लेकिन जुबान पर एक ही बात थी कि ''अब मैं वापस बिहार जा रहा हूँ"
बिहार के निवासी हीरालाल के दर्द के पीछे भी कारण है. 11 अक्टूबर को श्रीनगर के ईदगाह में आतंकियों के गोली का शिकार होने वाले अरविन्द साहू उसी के गांव के पड़ोसी थे. कश्मीर में भी दोनों एक ही जगह पर रहते थे. अरविंद साहू की मौत के बाद से हीरालाल पूरी तरह से टूट गए हैं और अपना बोरिया-बिस्तर बांधकर परिवार के साथ लौटने का फैसला किया है.
हीरालाल बताते हैं कि यहां का कोई भरोसा नहीं कब कौन मार दे. रात को घर के खिड़की दरवाज़े कोई खटखटाता है और पुलिस भी कुछ नहीं करती. ऐसे में कश्मीर में अब रहना मुश्किल हो गया है. हीरालाल के बच्चे भी हैं जो यही पढ़ाई कर रहे थे. 12 साल की बेटी किरण कुमारी जो छठी कक्षा में पढ़ती है वो भी हर हाल में वापस बिहार जाना चाहती है.
5 अक्टूबर से शुरू हुए आम नागरिकों पर हमलों में अब तक 11 लोग मारे जा चुके हैं जिनमें 5 प्रवासी है. बहरहाल जिन प्रवासियों की जानें चली गईं वो लौटकर नहीं आ सकती. अपनों को खोने का गम उनके परिजनों को हमेशा सताती रहेगी और शायद ये जख्म जल्दी न भर पाए.