Kashmir Target Killing: दहशत फैलाने के लिए कश्मीर में आतंकियों ने बदली अपनी रणनीति, क्या है सुरक्षाबलों की तैयारी ?
2021 में पहली बार कश्मीर में टारगेट किलिंग का मामला सामने आया था. इन किलिंग्स में आतंकियों ने कश्मीर में रह रहे अल्पसंख्यक, प्रवासी मजदूरों, गांव के सरपंच को टारगेट कर उनकी हत्या की थी.
Target Killing In Jammu And Kashmir: करीब तीन साल तक सुरक्षाबलों (Security Forces) के हाथों भारी नुकसान उठाने के बाद कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठनों (Terrorist Organizations) ने अपनी रणनीति पूरी तरह बदल ली है. अब सुरक्षाबलों पर इतने बड़े हमले नहीं होते हैं और ना ही उनको फिदायीन हमलों का सामना करना पड़ता है. बावजूद इसके मासूमों का कत्ल करने की इस रणनीति ने घाटी में आतंक के खौफ को काफी बड़ा कर दिया है. आतंक इतना है कि घाटी में रह रहे गैर-मुस्लिम पलायन की बातें करने लगे हैं.
2021 में पहली बार जम्मू कश्मीर टारगेट किलिंग का मामला सामने आया था. इन टारगेट किलिंग में आतंकियों ने कश्मीर में रह रहे अल्पसंख्यक समुदाय के नागरिकों, प्रवासी मजदूरों, गांव के सरपंच को टारगेट कर उनकी हत्या कर रहे थे. लेकिन अक्टूबर 2021 में इन आतंकियों ने खुले तौर पर आम नागरिकों को निशाना बनाना शुरू कर दिया.
हमलों और हत्याओं के अलावा इन आतंकियों ने कश्मीरियों की हत्या की जिम्मेदारी लेनी भी शुरू कर दी. ये आतंकी संगठन धर्म और कश्मीर की डेमोग्राफी में हो रहे बदलाव को जिम्मेदार बताते हुए इन हत्याओं को सही ठहराने की कोशिश कर रहे हैं. इसके अलावा ये आतंकी संगठन खुले रूप से और हमलों और हत्याओं की धमकी भी दे रहे हैं.
कौन हैं वो चार आतंकी संगठन ?
टारगेट किलिंग में अबतक चार नए आतंकी संगठनों का नाम सबसे आगे आ रहा है. ये चार आतंकी संगठन निभ्नलिखित हैं...
- THE RESISTANCE FORCE (TRF)
- PEOPLE ANTI-FASCIST FORCE (PAFF)
- United Liberation Front of Kashmir (ULFK)
- Kashmir Tigers.
हालांकि सुरक्षाबलों का मानना है कि ये आतंकी संगठन लश्कर-ए-तयैबा के शैडो ग्रुप हैं. इन ग्रुप्स ने वादी में सेलेक्टिव किलिंग की जगह टारगेट किलिंग करने का फार्म्युला अपनाया है.
टारगेट किलिंग के बारे में क्या कह रही है जम्मू-कश्मीर पुलिस ?
जम्मू कश्मीर पुलिस के अनुसार, उन्होंने 1 जनवरी 2022 से 31 मई तक कश्मीर घाटी में 100 के करीब हाइब्रिड मिलिटेंट पकड़े हैं. इन मिलिटेंट के कब्जे से 90 से ज्यादा पिस्तौल और ग्रेनेड पकडे गए हैं. पिछले साल भी सुरक्षाबलों ने 150 के करीब पिस्तौल आतंकियों के पास से बरामद की थी. जिस के बाद से ही यह आशंका जताई गई थी की मिलिटेंट वादी में टारगेट किलिंग कर सकते हैं.
अक्टूबर 2021 में जताई गई ये आशंका सच में बदल गई जब आतंकियों ने एक के बाद एक 9 लोगों को गोली मार दी जिन में कश्मीरी पंडित, हिंदू, सिख और प्रवासी मजदूर शामिल थे. इस घटना के बाद दहशत में आकर बड़ी मात्रा में वादी में काम कर रहे प्रवासी मजदूरों ने कश्मीर से पलायन करना शुरू कर दिया.
टारगेट किलिंग से निपटने के लिए क्या कर रहे हैं सुरक्षाबल?
हालांकि वादी में सुरक्षाबल लगातार ऑपरेशन ऑल आउट चलाने में जुटे हुए हैं. उन्होंने दावा किया है कि उन्होंने अभी तक इस शूटर गैंग के सभी आतंकियों को मार गिराया है. लेकिन आतंक का दानव अभी भी मरा नहीं है. सूत्रों के अनुसार वादी में जिस तरह से लोगों को टारगेट करके मारा जा रहा है उसमें एक बात समान है. ये वो लोग हैं जिनको कश्मीर में पुनर्वास के इरादे से लाया गया है और कुछ ऐसे लोग हैं जो कश्मीर से बाहर के हैं और कश्मीर में Domicile हासिल करना चाहते हैं. 2021 में मारे गये सतपाल निश्छल नाम के ज्वैलर पर यही आरोप लगा कर उनकी हत्या कर दी गई थी.
टारगेट किलिंग से निपटने के लिए क्या हो सकती है सरकारी रणनीति ?
आतंकियों की इस नई रणनीति का माकूल जवाब देने के लिए भी सुरक्षाबल अपनी रणनीति बदल सकते हैं. पिस्तौल से होने वाले इन हमलों को रोकने के लिए कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की जाएगी. सूत्रों ने बताया कि सुरक्षाबल अब प्रदेश में इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस और सोशल मीडिया पर कड़ी नजर रखेंगे. घाटी में अमन-चैन इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि अमरनाथ यात्रा से पहले सुरक्षाबल घाटी में एक बड़ा ऑपरेशन करने की तैयारी में है.
सूत्रों के मुताबिक सुरक्षा बल (Security Forces) घाटी में एक बड़ा सुरक्षा ऑपरेशन (Security Operation) करने की तैयारी में हैं. वहीं आतंकी दक्षिण कश्मीर के चार जिलों कुलगाम, अनंतनाग, शोपियां (Kulgam, Anantnag, Shopian) और पुलवामा (Pulwama) में अपनी आतंकी गतिविधियों (Terrorist Activities) का प्रसार करना चाहते हैं.
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