श्रीनगर: उरी के बाद जम्मू-कश्मीर में दूसरा सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ है. इस हमले के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि सरकार हमले का जवाब किस तरह से देगी. ये सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि ये ताजा हमला उरी हमले से भी बड़ा है. 2016 में उरी में हुए हमले के बाद भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक कर के पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया था. पुलवामा में हुए हमले के बाद नरेंद्र मोदी सरकार से फिर उसी तरह की उम्मीद की जा रही है.


हमले के बाद एक्शन में सरकार
बता दें कि पुलवामा में हुए हमले के बाद गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अपनी बिहार में होने वाली रैली कैंसिल कर दी है. गृह मंत्री कल जम्मू-कश्मीर के दौरे पर जा सकते हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने इमरजेंसी बैठक बुलाई है. गृह सचिव राजीव गाबा भूटान की यात्रा बीच में ही छोड़कर देश लौट रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसे लेकर राजनाथ सिंह से बात की है. पीएम अजीत डोभाल से भी लगातार संपर्क में हैं.


अजीत डोभाल की निगरानी में ही हुई थी सर्जिकल स्ट्राइक
2016 में उरी में हुए हमले के बाद भारतीय सेना ने जो सर्जिकल स्ट्राइक की थी वो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की निगरानी में ही हुई थी. इस मिशन को पूरी तरह से सीक्रेट रखा गया था. सेना की इस ऑपरेशन में सफलता के बाद इसके बारे में खुलासा किया गया था.


पुलवामा अटैक पर पीएम मोदी का एलान- बलिदान बेकार नहीं जाएगा
पीएम नरेंद्र मोदी ने इस हमले पर कहा है कि जवानों का बलिदान बेकार नहीं जाएगा. पीएम मोदी ने ट्विटर पर लिखा, ''पुलवामा में सीआरएएफ जवानों पर हमला घिनौना है. मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं. बहादुर जवानों का बलिदान बेकार नहीं जाएगा. पूरा देश शहीद जवानों के परिवार के साथ खड़ा है.'' उन्होंने आगे लिखा, ''मैंने गृहमंत्री राजनाथ सिंह और टॉप के ऑफिशियल से इस घटना की जानकारी ली है.''


बता दें कि उरी में अटैक के बाद भी पीएम मोदी ने इसी तरह की प्रतिक्रिया दी थी. पीएम ने दक्षिण भारत में एक रैली के दौरान कहा था कि उरी का बदला लिया जाएगा. इस बार भी पीएम ने कहा है कि जवानों का बलिदान बेकार नहीं जाएगा. ऐसे में ये उम्मीद और बढ़ जाती है कि मोदी सरकार जल्द ही इस पर कड़ी कार्रवाई करेगी.


साल 2016 में उरी हमले से दहल गया था देश
आज से तीन साल पहले 18 सितंबर 2016 को आतंकियों ने उरी में सेना के कैंप पर बड़ा हमला किया था. इस हमले में 19 जवान शहीद हुए थे. हमले के बाद मोदी सरकार ने कहा था कि आतंकियों को इसका करारा जवाब दिया जाएगा. इसके 10 दिन बाद ही 28-29 सितंबर की रात को पीओके में घुसकर भारतीय सेना ने आतंकियों के कैंपों को उड़ा दिया था. सेना के इस वीरता भरे ऑपरेशन में एक भी जवान शहीद नहीं हुआ था.


आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा के अवंतीपुरा में ये हमला उस वक्त हुआ जब सीआरपीएफ के जवानों को श्रीनगर से पुलवामा ले जाया जा रहा था. इस काफिले में सीआरपीएफ की करीब 78 गाड़ियां थीं. इस काफिले में सीआरपीएफ की 54वीं, 179वीं और 34वीं बटालियन एक साथ जा रही थीं. 54वीं बटालियन पर ये हमला आतंकियों ने 3 बजकर 37 मिनट पर पुलवामा के अवंतीपुरा में लातू मोड़ पर किया.


जिस गाड़ी पर हमला हुआ उसमें 39 जवान सवार थे. खबरों के मुताबिक एक छोटी गाड़ी में फिदायीन हमलावर बैठा हुआ था और वो विस्फोटक से भरी गाड़ी लेकर बस से टकरा गया. इस ब्लास्ट के बाद आतंकियों ने फायरिंग भी की.


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