कश्मीर: सीजफायर के खत्म होने के बाद सेना के लिए सरदर्द बनी आतंकियों की स्टील वाली गोली
सीजफायर के खत्म होते ही कश्मीर घाटी में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन फिर से शुरू हो चुका है. आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन ऑल आउट पार्ट- 2 एचलाया जा रहा है. लेकिन इस बीच सेना के लिए आतंकियों के पास मौजूद एक गोली बड़ा सिरदर्द बन गई है.
कश्मीर: रमजान के बाद समाप्त हुए सीजफायर के खत्म होते ही कश्मीर घाटी में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन फिर से शुरू हो चुका है. आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन ऑल आउट पार्ट- 2 चलाया जा रहा है. लेकिन इस बीच सेना के लिए आतंकियों के पास मौजूद एक गोली बड़ा सिरदर्द बन गई है.
क्या बला है स्टील वाली गोली स्टील वाली गोली यानी आर्म्ड पियर्स बुलेट की बॉडी स्टील की होती है. जैकेट यानी बाहरी सतह तांबे की होती है और इसके भीतर टंगस्टन कार्बाइड भरा होता है. आम तौर पर एके-47 राइफल की गोली का बाहरी हिस्सा तो कॉपर का ही होता है लेकिन उसके भीतर शीशे का छर्रा होता है जिसे हल्के स्टील से ढका होता है.
स्टील वाली गोली में जिस टंगस्टन कार्बाइड का इस्तेमाल होता है वो 3422 डिग्री सेल्सियस पर जाकर पिघलती है जो किसी भी धातु के मुकाबले सबसे अधिक है. ये टंगस्टन कार्बाइड टाइटेनियम से चार गुना सख्त और बुलेटप्रूफ स्टील से दो गुना सख्त होती है. सबसे सख्त और कठिनतम हालात में गलने की वजह से ये हर तरह के मजबूत कवच को तोड़ने में सक्षम होती है.
आपको बता दें कि आतंकवादियों के पास स्टील वाली गोली पहुंचने से हड़कंप इसलिए मचा है क्योंकि जब आतंकियों से मुट्ठभेड़ होती है तब आतंकियों से आमने-सामने की लड़ाई में बुलेटप्रूफ गाड़ियों और बुलेटप्रूफ जैकेट सैनिकों की रक्षा करते हैं. लेकिम अगर आतंकी बख्तरबंद भेदने वाली गोली चलाएंगे तो वो सुरक्षा दीवार गिर जाएगी जिससे सेना का नुकसान होगा और आतंकी को मार गिराने में नाकामी मिलेगी.
आतंकियों के पास कहां से आई स्टीव वाली गोली सेना के अधिकारियों के मुताबिक सीमा पार पाकिस्तान में चाइनीज तकनीक की मदद से बने ये स्टील के बुलेट आतंकियों के पास आ चुके हैं और इसी का नतीजा है कि आतंकियों के ठिकानों से भी स्टील वाले बुलेट बरामद हुए हैं और खासकर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों के पास से.
छह महीने पहले कश्मीर घाटी के पुलवामा में आतंकियों ने सीआरपीएफ कमांडो सेंटर पर हमला किया था. हमले में पांच जवान शहीद हुए थे और इसी हमले के दौरान पहली बार स्टील की गोलियों का खुलासा हुआ था. सीआरपीएफ के महानिदेशक ने जानकारी दी थी कि आर्मर पीयर्सिंग बुलेट बख्तरबंद गाड़ियों के अंदर जा रही थी जिसकी वजह से नुकसान हुआ था. आपको बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय मानकों के मुताबिक इन पर बैन हैं लेकिन आतंकी इनका इस्तेमाल कर रहे हैं.
क्या है इस बुलेट का इलाज देश में ही बुलेटप्रूफ जैकेट बनाने वाली एक कंपनी ने दावा किया है कि वो जिस स्तर की उन्नत जैकेट बना रही है, उसे ये स्टील की गोलियां भी नहीं भेद पाएंगी.