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घाटी में आतंक का खौफ! हजारों कश्मीरी पंडित 6-7 महीने से काम पर नहीं आ रहे, मंत्री बोले- ऑफिस बंद करना ही बेहतर

Kashmiri Pandit Issue: आतंक के डर से हजारों कश्मीरी पंडितों ने काम छोड़ रखा है. उपराज्यपाल ने कहा कि बिना काम किए वेतन नहीं दिया जा सकता. इस पर बीजेपी नेताओं के बयान आ रहे हैं.

Kashmiri Pandits Strike: कश्‍मीर घाटी में आतंकियों के हमलों के डर से कश्मीरी पंडित (Kashmiri Pandit) खौफजदा हैं. हजारों कश्मीरी पंडित कर्मचारियों (Kashmiri Pandit Employees) ने पिछले छह महीनों से काम छोड़ रखा है. उनकी शिकायत है कि उन्हें इस्‍लामिक चरमपंथियों की ओर से निशाना बनाया जा रहा है. ऐसे हालत के विरोध में कश्मीरी पंडित हड़ताल पर हैं. आज (25 दिसंबर) बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने उनके समर्थन में एक एलान किया. जितेंद्र सिंह ने कहा कि खतरे का सामना कर रहे कश्मीरी पंडित कर्मचारियों की जान बचाने के लिए हम दर्जनों सरकारी कार्यालयों को बंद करना पसंद करेंगे. उन्‍होंने कहा कि जब तक एक भी व्‍यक्ति की जान खतरे में है तब तक दर्जनों कार्यालयों को बंद रखा जा सकता है.

बता दें कि कश्‍मीर घाटी में लंबे समय बाद कश्‍मीरी पंडित काम पर लौटे थे. हालांकि, उन्‍हें फिर से निशाना बनाया जाने लगा. कई कश्मीरी पंडित कर्मचारियों की बेरहमी से हत्‍या कर दी गई. इससे घाटी में दहशत का माहौल व्‍याप्‍त हो गया. हालत ये हो गए कि प्रधानमंत्री विशेष रोजगार योजना के तहत घाटी में लौटे करीब 6,000 कश्मीरी पंडित कर्मचारी हमलों के विरोध में पिछले सात महीने से अपने कार्यालय नहीं जा रहे हैं. अब कश्‍मीरी पंडित कर्मचारियों के समर्थन में देश के राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह का सख्‍त बयान आया है. डॉ. जितेंद्र सिंह पीएमओ में राज्य मंत्री हैं, उन्‍होंने आज कहा, "मैं कहूंगा कि अगर एक व्यक्ति की जान को खतरा है तो उसकी जिंदगी बचाने के लिए दर्जनों कार्यालयों को बंद करना बेहतर है. किसी की जिंदगी बचाना ज्‍यादा महत्वपूर्ण है."

घाटी में महीनों से काम बंद, नहीं मिला भुगतान

घाटी में काम करने वाले कश्मीरी पंडितों को जान का खतरा होने के अलावा उन्‍हें भुगतान नहीं किए जाने की भी शिकायतें आ रही हैं. इस मामले पर जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की ओर से उन्हें जम्मू में स्थानांतरित करने की मांग पर गौर किया जा रहा है. ड्यूटी पर नहीं आने पर उनका वेतन न कटे, बीजेपी नेता कर्मचारियों के समर्थन में ऐसी मांग कर रहे हैं. पिछले दिनों ही बीजेपी के दो महासचिव तरुण चुघ और दिलीप सैकाई जम्मू पहुंचे थे. शनिवार को उन्‍होंने प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों से मुलाकात की और दोनों ने उनकी मांगों को पूरा करने का वादा किया.

कर्मचारियों को घर बैठे कोई वेतन नहीं: उपराज्यपाल 

बुधवार को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने स्‍पष्‍ट शब्‍दों में कहा था कि कश्मीरी पंडित कर्मचारियों को घर बैठे कोई वेतन नहीं दिया जाएगा. सिन्हा ने कहा था, "31 अगस्त तक उनके वेतन का भुगतान हमने कर दिया है लेकिन जब वे घर बैठे हैं तो उन्हें वेतन का भुगतान नहीं किया जा सकता है. यह उनके लिए स्पष्ट संदेश है. उन्हें (पंडित कर्मचारियों को) इसे सुनना और समझना चाहिए." जिसके बाद कई कश्मीरी पंडितों और आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों ने जम्मू में बीजेपी मुख्यालय के बाहर अपना विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया.

'उपराज्यपाल को जमीनी हकीकत पता नहीं है'

वहीं, जम्मू और कश्मीर में स्थानीय बीजेपी नेतृत्व ने कहा है कि अगर सरकार हाल के टारगेटेड हमलों के बाद कश्मीरी पंडित कर्मचारियों और आरक्षित श्रेणियों के लोगों को कश्मीर घाटी में काम करने के लिए मजबूर करती है तो वे बलि का बकरा नहीं बनने देंगे. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रविंदर रैना ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा पर परोक्ष रूप से हमला बोला और कश्मीर की जमीनी स्थिति की हकीकत जानने के लिए एक बार प्रदर्शनकारी कर्मचारियों से मिलने को कहा.

रैना ने कहा, "उपराज्यपाल से मेरा हाथ जोड़कर अनुरोध है कि कृपया कश्मीरी पंडितों और आरक्षित श्रेणी के कर्मचारियों को राजभवन बुलाएं. वह कम से कम एक बार उनकी सूची भी बनाएं." बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, "जब आप (उपराज्यपाल) उनकी बात सुनेंगे तो आपको जमीनी हकीकत का पता चलेगा." रैना ने कहा कि एलजी को स्थिति के बारे में ठीक से जानकारी नहीं दी जा सकती है और यही कारण है कि सिन्हा ने विरोध करने वाले पंडित कर्मचारियों के वेतन पर ऐसा बयान दिया.

'उपराज्यपाल अपनी बेटी को घाटी में भेज सकते हैं?'

कई बीजेपी नेताओं ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को ऐसी स्थिति में अपने बच्चे या बेटी को कश्मीर घाटी में तैनात करने की चुनौती दी. कश्‍मीर के एक प्रमुख पंडित नेता डॉ. अग्निशेखर ने सरकार पर आरोप लगाया कि पंडित कर्मचारियों के खिलाफ टारगेटेड हमले और ताजा आतंकवादी खतरे होने पर पंडितों को बलि के बकरे के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. अग्निशेखर ने पूछा, "क्या उपराज्यपाल अपनी बेटी को कश्मीर में रखना चाहेंगे? क्या कोई उपायुक्त बिना सुरक्षा के कश्मीर में घूमता है?"

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