Kashmiri Pandit Employees: कश्मीरी पंडित कर्मचारी जम्मू में 200 से अधिक दिनों से अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं. एक नई धमकी भरी पोस्ट ने कश्मीर घाटी में रहने वाले कर्मचारियों और उनके परिवारों के बीच और बेचैनी पैदा कर दी है. लश्कर मोर्चा, प्रतिरोध मोर्चा ने पीएम के पुनर्वास पैकेज के तहत काम कर रहे कर्मचारियों पर नए हमले कर उन्हें खत्म करने की कसम खाई है. यह एक आतंकवादी संगठन की तरफ से कई कश्मीरी पत्रकारों और संपादकों पर केंद्र सरकार का जासूस होने का आरोप लगाते हुए धमकी भरे पत्र जारी करने के हफ्तों बाद आया है.
आतंकवादी समूह द रेसिस्टेंस फ्रंट के मुखपत्र के रूप में प्रकाशित होने वाले ब्लॉग कश्मीरी फाइट ने प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत कश्मीर घाटी में शिक्षकों के रूप में काम कर रहे 57 कश्मीरी पंडित कर्मचारियों की सूची को धमकी के साथ प्रकाशित किया है. ये सूची एक सरकारी आदेश की एक प्रति है, जिनमें न केवल नामों का जिक्र है, बल्कि आवासीय पते और पोस्टिंग के स्थान का भी उल्लेख है.
घाटी में 6,000 से अधिक कश्मीरी पंडित कर्मचारी काम करते हैं और पत्र ने उनमें डर पैदा कर दिया है. 56 कर्मचारियों की सूची में ज्यादातर कश्मीरी पंडित हैं, साथ ही कुछ मुस्लिम भी शामिल हैं. उन पर "दिल्ली के नैरेटिव और हिंदुत्व के एजेंडे को फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका" का आरोप लगाया गया है. इसे लश्कर-ए-तैयबा के मोर्चे के तौर पर देखे जाने वाले द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) के नाम से जारी किया गया है.
आतंकवादियों ने कश्मीरी पंडितों को घाटी में निशाना बनाया
यह बयान कश्मीर फाइट ब्लॉगस्पॉट में दिखाई दिया, जिसने हाल ही में पत्रकारों को टीआरएफ की धमकियों को दिखाया था. ब्लॉगस्पॉट को घाटी से एक्सेस नहीं किया जा सकता है, लेकिन नवीनतम खतरे का एक स्क्रीनशॉट शनिवार को कश्मीर पंडित संघर्ष समिति की तरफ से ट्वीट किया गया. ये समिति पंडितों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक समूह है, जिन्होंने कभी घाटी नहीं छोड़ी.
2021 की शुरुआत के बाद से दर्जनों कश्मीरी पंडितों और गैर-कश्मीरी प्रवासियों को कश्मीर घाटी में आतंकवादियों की तरफ से निशाना बनाया गया है. अलग-अलग कश्मीरी पंडित निकायों ने इस तरह के खतरों पर चिंता व्यक्त की है और पिछले एक साल के दौरान बंदूक हिंसा में 24 कश्मीरी पंडित मारे गए हैं.
सूची कैसे लीक हुई
बीजेपी ने उस पत्र की जांच की मांग की है जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है और उसके प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर ने अधिकारियों से जांच करने को कहा कि सूची कैसे लीक हुई और उन्हें पर्याप्त सुरक्षा देने की मांग की. ठाकुर ने कहा, "यह एक सुरक्षा उल्लंघन है क्योंकि आतंकवादियों को स्पष्ट पता होता है कि कौन कहां तैनात है. सरकार को इस पर कड़ा संज्ञान लेना चाहिए और यह पता लगाना चाहिए कि ऐसे समय में किसने सूची लीक की है जब घाटी में लक्षित हत्याएं हो रही हैं."
जबकि जम्मू में, जहां सैकड़ों कर्मचारी विरोध कर रहे हैं और कश्मीर घाटी से स्थानांतरित करने की मांग कर रहे हैं, पनुन कश्मीर (पीके), कश्मीरी पंडित सभा अध्यक्ष, कश्मीरी पंडित सम्मेलन (केपीसी), अखिल भारतीय प्रवासी शिविर समन्वय समिति (एआईएमसीसीसी) सहित कई कश्मीरी पंडित संगठन और अन्य पंडित नेताओं ने भी धमकी भरे पत्र को लेकर समुदाय के सदस्यों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है. इनमें से कई नेताओं ने मांग की है कि ऐसे कर्मचारियों को घाटी से बाहर कर जम्मू में तैनात किया जाना चाहिए.
कश्मीरी पंडित कर्मचारियों को धमकी पर महबूबा मुफ्ती ने कहा
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि एक तरफ सरकार कश्मीरी पंडित कर्मचारियों को वापस बुला रही है, पिछले छह महीने से कर्मचारी जम्मू में दरबदर फिर रहे हैं और दूसरी तरफ उनकी ऐसी जानकारी लीक हो रही है जो सरकारी दफ्तर का सीक्रेट है. देश में बीजेपी की सरकार है और जम्मू-कश्मीर में उनका प्रशासन. सरकार पूरी तरह नाकाम हो चुकी है कश्मीरी पंडितों को सुरक्षा देने में क्योंकि बीजेपी कश्मीरी पंडितों को सिर्फ राजनीति के लिए इस्तेमाल कर रही है.
अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से, उग्रवादियों ने रणनीति बदल दी है और आसान लक्ष्यों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है. पिछले साल आतंकवादियों की तरफ से लक्षित लोगों में कश्मीरी पंडित, प्रवासी मजदूर और अन्य गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक शामिल हैं.