Kashmiri Hindus: जम्मू कश्मीर में स्थित गांदरबल जिले के तुलमूल्ला गांव में देशभर से आए कश्मीरी पंडित आज बड़े उत्साह से अपनी कुल देवी माता रंगया का वार्षिक उत्सव मनाने के लिए पहुंचे. इस दौरान हर तरफ श्रद्धालु पूजा अर्चना में मगन और माता को दूध और शक्कर का भोग भी लगाते नजर आए. इस उत्साह के माहौल के बीच सभी कश्मीरी पंडितों की एक ही ख़्वाहिश है... वापस कश्मीर में आकर बसने की.
फिर चाहे जम्मू से आये भक्त हों या दिल्ली-मुंबई में रहने वाले विस्थापित कश्मीरी पंडित. सब लोग सिर्फ एक ही बात कर रहे हैं कि कब वह दिन आएगा जब सभी कश्मीरी पंडित लौट कर एक बार फिर कश्मीर में बसेंगे. इस बार बड़ी संख्या में युवा कश्मीरी पंडित भी मेले में पहुंचे हैं और यह सब भी अपने पूर्वजों की धरती और अपनी जड़ों के साथ जुड़ने की बात कर रहे है. वहीं, विस्थापित कश्मीरी पंडितों की नई पीढ़ी भी अपनी पूर्वजों की धरती में आकर बसने की बात कर रहे हैं.
कश्मीरी पंडितों ने मोदी सरकार से वादे पूरे करने की मांग की
इस बीच त्योहार के मौके पर पहुंचे लोग मोदी सरकार से कश्मीरी पंडितों के साथ किए गए वादे पूरे करने की मांग कर रहे हैं. कश्मीरी पंडितों के अनुसार, पिछले दस सालों से बीजेपी की सरकार है और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं लेकिन अभी तक कश्मीरी पंडितों को पूरी तरह से कश्मीर में दोबारा बसाने के वादे को पूरा नहीं किया गया है.
कश्मीरी पंडित अपनी हालत के लिए राजनेताओं को ठहरा रहे जिम्मेवार
इस दौरान कुछ श्रद्धालु तो अपनी हालत के लिए राजनेताओं और राजनीतिक दलों को जिम्मेदार मानकर आरोप लगा रहे हैं कि अपनी राजनीति के चलते कश्मीरी पंडितों को वापस बसाने की कोशिश नहीं की जा रही है. ऐसे में कश्मीरी पंडित सिथनय भी कश्मीरी मुसलमानों से खुल कर आतंकवाद का विरोध करने और कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास में सहयोग करने की अपील भी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम जानते हैं जब तक कश्मीरी मुसलमान हमारा साथ नहीं देते हमारा वापस लौट कर आना संभव नहीं है.
मोदी सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को जब भारत सरकार ने जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किया तो कश्मीरी पंडित बेहद खुश थे. मगर उनकी वापसी के अरमान अब भी अरमान ही हैं.
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