(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
कठुआ रेप केस के आरोपियों को बचाने वाले बीजेपी नेता ने अब पत्रकारों को दी धमकी, कहा- शुजात बुखारी याद है न
जम्मू-कश्मीर के बीजेपी विधायक चौधरी लाल सिंह ने पत्रकारों को सीमा में रहने की धमकी दी है. उन्होंने राइजिंग कश्मीर के संपादक और वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी की नृशंस हत्या का जिक्र करते हुए कहा कि क्या ऐसे रहना है जैसे बसारत (शुजात बुखारी) के साथ हुआ.
श्रीनगर: कठुआ गैंगरेप के आरोपियों के पक्ष में रैलियां निकालकर विवादों में आ चुके जम्मू-कश्मीर के भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) विधायक चौधरी लाल सिंह ने अब पत्रकारों को सीमा में रहने की धमकी दी है. उन्होंने राइजिंग कश्मीर के संपादक और वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी की नृशंस हत्या का जिक्र करते हुए कहा कि क्या ऐसे रहना है जैसे बसारत (शुजात बुखारी) के साथ हुआ.
महबूबा कैबिनेट में मंत्री रह चुके लाल सिंह ने कठुआ गैंगरेप और राज्य के मौजूदा हालात को लेकर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ''जैसे कश्मीर के पत्रकारों ने गलत माहौल तैयार कर दिया था. अब तो मैं कश्मीर के पत्रकारों को कहूंगा कि आप भी जर्नलिज्म की अपनी सीमा तय कीजिए कि आपको कैसे रहना है. ऐसे रहना है जैसे बसारत (शुजात की जगह बसारत बोल गये) के साथ हुआ है. इसलिए अपने आपको संभालें और लाइन ड्रा करें ताकि भाईचारा खत्म न हो.'' उन्होंने कहा कि हम अभी भी कठुआ मामले की सीबीआई की जांच के लिए खड़े है. हमारी आवाज़ को दबाया गया.
बसारत शुजात बुखारी के भाई हैं जो की महबूबा के मंत्रिमंडल में मंत्री थे. आपको बता दें कि शुजात बुखारी की 14 जून को श्रीनगर के प्रेस एन्क्लेव में आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी. उनके साथ उनके दो सुरक्षाकर्मी भी मारे गए थे.
कठुआ गैंगरेप जम्मू एवं कश्मीर के कठुआ जिले के रासाना गांव में एक आठ साल की लड़की के साथ जनवरी में गैंगरेप किया गया था और उसकी हत्या कर दी गई थी. इसके बाद देशभर में बवाल हुआ था. बीजेपी के दो नेता और तब महबूबा सरकार में मंत्री रहे लाल सिंह और चंदर प्रकाश गंगा ने आरोपियों के पक्ष में रैलियां निकाली थी. इस खबर के बाद बीजेपी बैकफुट पर आई और दोनों नेता को महबूबा कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा. दोनों पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे.
अब बीजेपी द्वारा समर्थन खींचे जाने के बाद महबूबा मुफ्ती इस्तीफा दे चुकी हैं. जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू है. बीजेपी का कहना है कि महबूबा मुफ्ती के कार्यकाल में आतंकवादी गतिविधियों में बढ़ोतरी हुई है. ध्यान रहे की बीजेपी ने तीन साल तक महबूबा मुफ्ती के साथ सरकार चलाई है.
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सरकार से समर्थन वापसी पर लाल सिंह ने आज कहा कि महबूबा का जाना तय था. महबूबा शवों और अंतिम यात्राओं की राजनीति करना जानती है. उनके सलाहकार निक्कमे हैं. कश्मीर में हालात 1990 से बदतर है. उन्होंने कहा कि महबूबा, अलगाववादी और पाकिस्तान को ठीक करो कश्मीर ठीक हो जाएगा.
लाल सिंह ने कहा कि भारत सरकार ने भी रमजान में युद्धविराम कर एक अच्छी पहल थी. लेकिन इससे आतंकवाद को बढ़ावा मिला. पत्रकारों को भी नहीं बक्शा गया. युद्धविराम में आतंकवाद बढ़ा. सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बलों के हौसले पस्त हुए.
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