जम्मू: कठुआ गैंगरेप और मर्डर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर की सरकार को नोटिस जारी किया है. ये नोटिस हैबियस कॉर्पस (बन्दी प्रत्यक्षीकरण) के तहत जारी किया गया है. इस मामले के गवाह तालिब हुसैन के परिवार वालों ने पीटीशन फाइल किया था. पीटीशन में दावा किया गया था कि हुसैन को उसके घर से पुलिस ने जबरदस्ती उठा लिया था जिसके बाद उसके साथ थर्ड-डिग्री टॉर्चर किया गया. मामले में अगली सुनवाई 21 अगस्त को होनी है.





मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा है कि कोई भी हिरासत तभी अवैध हो जाती है जब हिसारत में लिए गए व्यक्ति के साथ हिंसा की जाती है. उन्होंने ट्वीट कर कहा, "कठुआ गैंगरेप और मर्डर केस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर की सरकार को नोटिस जारी किया है." उन्होंने आगे कहा कि हिरासत में हिंसा को समाप्त किया जाना चाहिए.






रेप के आरोप में गिरफ्तार किए गए कठुआ मामले के प्रमुख गवाह तालिब के साथ पुलिस कस्टडी में टॉर्चर की बात सामने आई है. उसके साथ इस हद तक हिंसा की गई कि उसके सर में गहरी चोट की वजह से उसे अस्पताल में भर्ती करना पड़ा जिसके बाद उसे उसी पुलिस स्टेशन में भेज दिया गया जहां उसके साथ हिंसा हुई थी. ये भी कहा गया है कि उसे उसके परिवार से नहीं मिलने दिया गया.


10 जनवरी को किया गया था बच्ची को अगवा
क्राइम ब्रांच के सूत्रों की माने तो एक सोची समझी साजिश के तहत सांझी राम ने हीरानगर के दो नाबालिग युवकों (परवेश और शुभम) को इस घटना को अंजाम देने के लिए चुना. 10 जनवरी को जब आठ साल की बच्ची अपने खच्चर के साथ रसाना गांव पहुंची तो इन दोनों नाबालिगों ने उसका अपहरण किया और उसे पास के एक देवस्थान में ले गए. सूत्रों के मुताबिक उस देवस्थान की चाबियां सांझी राम के पास ही रहती हैं.


सूत्रों की मानें तो इस अपहरण को अंजाम देने के बाद सांझी राम ने जम्मू-कश्मीर पुलिस में तैनात दो स्पेशल पुलिस ऑफिसर्स (एसपीओ- छोटे स्तर के जवान) दीपक और सुरेश को अपनी साजिश में शामिल किया. आरोप है कि बच्ची के अपहरण के बाद दीपक ने उसे बेहोश करने की दवाई दी और लगतार उसे वो दवाई खिलाते रहे ताकि किसी को उनपर शक न हो.


आरोप है कि उसी स्थान पर पहले दोनों नाबालिगों ने आठ साल की बच्ची के साथ के साथ रेप किया. आरोप यह भी है कि उसके साथ दोनों स्पेशल पुलिस ऑफिसर्स ने भो 14 जनवरी तक लगतार रेप किया.


17 जनवरी को मिला शव
क्राइम ब्रांच की छानबीन में यह सामने आया है कि 14 जनवरी को पहले इन चारों ने मिलकर आठ साल की बच्ची का गला घोंट कर हत्या की और फिर उसकी कमर की हड्डी को इस तरह से तोड़ा गया कि यह सारा मामला दुर्घटना का लगे. नाबालिग बच्ची की हत्या के बाद उसके शव को पास के जंगलों में फेंक दिया गया.


17 जनवरी को पुलिस को आठ साल की बच्ची का शव मिला और उसी दिन हीरानगर पुलिस ने इसकी जांच शुरू कर दी. आरोप है कि हीरानगर थाने में तैनात सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता और हेड कांस्टेबल तिलक राज ने मौके पर पहुंच कर सबसे पहले लड़की के शव को उठाया.


इस मामले की जांच के लिए जब लड़की के कपड़े एफएसएल भेजे गए तो सामने आया कि लड़की के कपड़ों पर किसी तरह का कोई निशान नहीं है और सुबूत मिटाने के मक़सद से कपड़ों को धो कर एफएसएल के लिए भेजा गया है. क्राइम ब्रांच ने इस मामले में सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता और हेड कांस्टेबल तिलक राज को गिरफ्तार किया है. क्राइम ब्रांच के सूत्रों की मानें तो अब इस मामले की जांच पूरी हो चुकी है.


क्या है कठुआ का पूरा मामला
दरअसल, 10 जनवरी को कठुआ ज़िले के रासना गांव में रहने वाली 8 साल की बच्ची रहस्यमय परिस्थितयों में दोपहर को लापता हो गई. लापता होने के बाद पूरा रासना गांव और पुलिस उसकी तलाश में जुट गया. इस मामले में 11 तारीख को शिकायत लेकर बच्ची के पिता पुलिस के पास पहुंचे. मामले में 12 तारीख को पुलिस ने अपहरण का केस दर्ज किया इसी बीच पुलिस और बच्ची के परिजनों ने उसकी तलाश जारी रखी और पूरे इलाके को खंगाला लेकिन बच्ची का कोई पता नहीं चला.


17 जनवरी को दोपहर बाद नाबालिग बच्ची का शव पुलिस को मिला और 17 जनवरी शाम को बच्ची के परिजन जम्मू पठानकोट हाईवे पर प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने निष्पक्ष जांच की मांग के साथ इलाके के एसएचओ को भी इस जांच से दूर रखने को कहा. उसी शाम पुलिस ने इस मामले में दर्ज हुई एफआईआर में हत्या समेत दूसरी धाराएं जोड़ीं और मामले की जांच के लिए एक स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम का गठन किया.


18 जनवरी को ही पुलिस इस मामले में एक 15 साल के नाबालिग युवक को गिरफ्तार किया. यह जांच आगे बढ़ती उससे पहले ही पुलिस हेडक्वार्टर्स ने इस मामले की जांच का ज़िम्मा एडिशनल एसपी साम्बा के ज़िम्मे सौंपने का आदेश जारी किया और हीरानगर एसएचओ को ससपेंड कर दिया.


22 जनवरी को पुलिस ने इस मामले की जांच क्राइम ब्रांच के हवाले कर दिया. क्राइम ब्रांच ने पुलिस में ही तैनात दो स्पेशल पुलिस ऑफिसर्स को गिरफ्तार कर लिया. इन दोनों एसपीओ की पहचान दीपक खजुरिया और सुरिंदर वर्मा के रूप में हुई.


स्थानीय लोगों ने इस मामले की संवेदनशीलता तो देखते हुए जांच सीबीआई से कराने की मांग की. इस मांग को अंतिम रूप तक पहुंचाने के लिए 23 जनवरी को एक गैर राजनीतिक संगठन बनाया गया जिसका नाम हिन्दू एकता मंच रखा गया. इसका चेयरमैन सरकार में शमिल बीजेपी के राज्य सचिव विजय शर्मा को बनाया गया.


विजय शर्मा का दावा है कि मंच गैर राजनैतिक है और बीजेपी से इस मंच का कोई लेना देना नहीं है. वो यह भी दावा कर रहे हैं कि इस मंच को इलाके के लोगों की भावनाओं को ध्यान में रख कर बनाया गया है और इसमें दूसरे दलों के भी नेता हैं.


मामले पर क्यों हो रही है राजनीति


· दरअसल रसाना गांव हिंदू बाहुल इलाका है और जंगल में गुर्जर और बकरवाल मुसलमान चरवाहों के साथ आते हैं. बच्ची उसी परिवार से थी.


· हिंदुओं का कहना है कि जमीन पर कब्जा हो रहा है और पशु खेत में जा रहे हैं.


· दो एसपीओ जो गिरफ्तार हुए हैं वो उसी रसाना गांव के हैं. मुसलामानों से इनकी झड़प होती रहती थी.


· अब इस मुद्दे में हिंदू रक्षा मंच ने सीबीआई जांच मांग की है और कहा कि रेप जिसने किया है उसे फांसी होनी चाहिए.


· हिंदू रक्षा मंच का कहना है कि ये हिंदुओं के खिलाफ साजिश है.


मामले ने कब तूल पकड़ा?
जम्मू में वकीलों ने बंद का एलान किया. कठुआ में वकीलों ने पुलिस को इस मामले में चार्जशीट दाखिल करने से रोका. वकीलों के इस अभियान को सूबे के मंत्रियों का भी समर्थन था. इनका कहना था कि इस केस की जांच सीबीआई को सौंपी जाए. हिंदू-मुस्लिम आधार पर वकीलों की इस मांग को सभ्य समाज में हैरत की नजर से देखा जा रहा है. आपको बता दें कि बीजेपी विधायक ने रेपिस्टों के समर्थन में एक रैली भी निकाली थी जिसकी सभ्य समाज में घोर निंदा की गई थी.


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