भारतीय कवि और प्रसिद्ध गीतकार कवि प्रदीप की आज जयंती है. उनका जन्म 6 फरवरी 1915 को हुआ था. कवि प्रदीप का पूरा नाम रामचरण द्विवेदी था. उन्हें उनके देशभक्ति गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ के लिए खास तौर पर जाना जाता है. ये गीत उन्होंने चीन-भारत युद्ध के दौरान शहीद हुए देश के सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए लिखा था.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कवि प्रदीप को किया याद
कवि प्रदीप की जयंती पर उन्हें याद करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने भी ट्वीट किया है. अपने ट्वीट में डॉ हर्षवर्धन ने लिखा है कि, “‘ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी, जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी, राष्ट्रभक्त लोकप्रिय कवि एवं गीतकार श्री प्रदीप जी की जयंती पर कोटिश : नमन्. राष्ट्रप्रेम में भावविभोर कर देने वाले आपके गीत देशप्रेमियों के दिलों में अमिट रहेंगे.
कवि प्रदीप ने लिखा था ऐतिहासिक गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’
बता दें कि उज्जैन के पास छोटे से मध्य भारतीय कस्बे बड़नगर के एक मध्यमवर्गीय औदिच्य ब्राह्मण परिवार में जन्में कवि प्रदीप ने लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई की थी. उन्हें बचपन से ही हिंदी कविता लिखने का शौक था. उनके लिखे देशभक्ति गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ से वह घर-घर मशहूर हो गए थे. दरअसल चीन से युद्ध हारने के बाद देश के नौजवानों में निराशा भर गई थी जिसके बाद कवि प्रदीप ने अपनी कलम को बंदूक बना लिया और उन्होंने ऐतिहासिक गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ की रचना कर डाली.
‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ सुनकर पंडित नेहरू की आंखें भर आई थीं
उनके इस गीत से जुड़ा एक वाकया भी है. 26 जनवरी 1963 को स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने दिल्ली के रामलीला मैदान में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की उपस्थिति में जब ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ का गायन किया था तो इस गीत को सुनकर नेहरू जी की आंखें भर आई थी. बाद में नेहरू जी ने कवि प्रदीप को इस गीत के लिए बधाई दी थी. पंडित नेहरू ही नहीं इस गीत को सुनकर लोगों में भी देशभक्ति की लहर दौड़ गई थी. युवाओं में जोश भर गया था. कहना गलत नहीं होगा आज भी ये गीत हर किसी के रोम-रोम में बसा है.
कई फिल्मों के लिए देशभक्ति गीत लिखे थे
कवि प्रदीप ने कई फिल्मों के लिए देशभक्ति गीत लिखे थे. उन्हें पहचान 1940 में आई फिल्म बंधन के लिए लिखे देखभक्ति गीतों से मिली. इस फिल्म के गीतों ने हर किसी में देशभक्ति का जज्बा भर दिया था. फिल्म के रिलीज होने के बाद कवि प्रदीप को तुरंत अंडरग्राउंड होना पड़ा था ताकि ब्रटिश हुकूमत उन्हें गिरफ्तार न कर सके. कवि प्रदीप की बेटी मितुल प्रदीप ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि, “ 1943 में आई फिल्म ‘किस्मत’ में उनके पिता के लिखे गीत ‘दूर हटो ऐ दुनियावालों..’ की वजह से भी ब्रिटिश सरकार ने उनके खिलाफ वारंट जारी किया था. इस वजह से उन्हें अंडरग्राउंड होना पड़ा था.
कवि प्रदीप ने अपने करियर में लगभग 1700 गीत लिखे
कवि प्रदीप ने अपने करियर में लगभग 1700 गाने लिखे. उन्होंने फिल्मी गीतों सहित राष्ट्रवादी कविताएं भी लिखी. 1940 में आई फिल्म चलन में चल चल रे नौजवान जैसा हिट गाना भी कवि प्रदीप ने लिखा था. कवि प्रदीप लिखते तो थे ही वहीं वे गाते भी थे. उन्होंने फिल्म ‘जागृति’ के ‘आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी हिंदुस्तान की' गाया भी था. उन्होंने 'दे दी हमे आजादी गीत' लिखा था जो काफी हिट हुआ था. 1997 में कवि प्रदीप को सिनेमा में भारत के सर्वोच्च पुरस्कार, लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 11 दिसंबर 1998 को कवि प्रदीप की मृत्यु हो गई थी. वे बेशक आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके गीत आज भी अमर हैं.
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