केसीआर की पार्टी ने कहा- कैबिनेट में विचार करने के बाद NRC और NPR पर किया जाएगा फैसला
टीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि कई मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता है. एनपीआर और एनआरसी, ये ऐसे फैसले नहीं है जिनकी घोषणा किसी व्यक्ति या पार्टी द्वारा की जा सकती है.
हैदराबाद: तेलंगाना में सत्तारूढ़ टीआरएस ने शुक्रवार को कहा कि उनकी पार्टी की सरकार राज्य मंत्रिमंडल में विचार-विमर्श के बाद एनआरसी और एनपीआर के संबंध में फैसला करेगी. पार्टी ने संसद में नागरिकता कानून में संशोधन के खिलाफ मतदान किया था.
पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के टी रामा राव ने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के मुद्दे पर हमारा रूख एकदम स्पष्ट है. इसमें कोई बड़ा भ्रम नहीं है. हमने सदन में जो कुछ भी कहा है, हम उस पर कायम हैं और उसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है. उन्होंने एनपीआर, एनआरसी आदि का जिक्र करते हुए कहा कि ये ऐसे फैसले नहीं हैं जिनकी घोषणा किसी व्यक्ति या पार्टी द्वारा की जा सकती है. ‘‘हमें एक सरकार के रूप में एक साथ बैठना होगा, कैबिनेट है, मुख्यमंत्री हैं... कई मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता है.’’
दिल्ली, मुंबई, बंगाल में हुई रैलियां
उधर राष्ट्रीय राजधानी में कड़ाके की ठंड के बावजूद संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में सैकड़ों लोगों ने शुक्रवार को प्रदर्शनों में हिस्सा लिया. वहीं मुंबई में बड़ी संख्या में लोगों ने सीएए के समर्थन और विरोध में रैलियां निकालीं. पश्चिम बंगाल में विपक्षी वाम मोर्चा और कांग्रेस ने सीएए और एनआरसी) के विरोध में एक संयुक्त रैली निकाली. वहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शनों में अग्रणी रही हैं.
उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी में पिछले सप्ताह जुमे की नमाज के बाद सीएए विरोधी प्रदर्शनों के हिंसक होने के मद्देनजर इस शुक्रवार उत्तर प्रदेश में सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए और संवेदनशील क्षेत्रों में गश्त बढ़ा दी गई.
दिल्ली के पूर्वोत्तर जिले के कुछ इलाकों में फ्लैग मार्च किया गया और शहर के कई हिस्सों में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किए गए. जामा मस्जिद के अलावा जोर बाग में भी प्रदर्शन हुए और दिल्ली पुलिस ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों की उत्तर प्रदेश भवन के घेराव की कोशिश नाकाम कर दी और प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया.
पुलिस ने सीएए के खिलाफ आंदोलन करने वालों पर उत्तर प्रदेश में कथित पुलिस अत्याचार के विरोध में शुक्रवार को यहां यूपी भवन के बाहर प्रदर्शन करने का प्रयास करने वाले 350 से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं.
जामिया समन्वय समिति (जेसीसी) ने उत्तर प्रदेश भवन के ‘घेराव’ का आह्वान किया था. इस समिति में परिसर में सक्रिय विभिन्न राजनीतिक समूहों के छात्र शामिल हैं. उत्तर प्रदेश भवन के पास सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू की गई है.
बाद में जेसीसी ने एक बयान में कहा कि पुलिस की कार्रवाई के कारण घेराव नहीं हो पाया और जेसीसी द्वारा तैयार ज्ञापन पत्र सौंपा नहीं जा सका. उसने सरकार की ‘‘बेतुकी कार्रवाई’’ की निंदा की. पुलिस ने कहा कि प्रदर्शनकारियों के पास वहां प्रदर्शन करने की कोई अनुमति नहीं थी. उसने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के निर्देशों का पालन नहीं किया जिसके बाद 75 महिलाओं समेत 357 लोगों को हिरासत में लिया गया और उन्हें मंदिर मार्ग एवं कनॉट प्लेस थानों में ले जाया गया. बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया.
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों ने सीएए के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान पुलिस की कथित ज्यादती के खिलाफ एक दिवसीय भूख हड़ताल की. पुलिस ने भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद की रिहाई की मांग कर रहे और संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को प्रधानमंत्री आवास की ओर जाने से रोक दिया.
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था और ड्रोन विमानों की निगरानी के बीच प्रदर्शनकारियों ने जोरबाग स्थित दरगाह शाह-ए-मर्दान से अपना मार्च शुरू किया. उनमें भीम आर्मी के सदस्य भी शामिल थे. प्रदशर्नकारियों ने अपने हाथ बांध रखे थे. पुलिस ने उन्हें लोक कल्याण मार्ग स्थित प्रधानमंत्री आवास से पहले ही रोक दिया.
मस्जिद में शुक्रवार की नमाज अदा करने के बाद कुछ प्रदर्शनकारियों ने मार्च में हिस्सा लिया. उन्होंने अपने हाथ बांध रखे थे ताकि उन पर इस प्रदर्शन के दौरान हिंसा और आगजनी के आरोप नहीं लगाए जा सके. बाबासाहेब आंबेडकर और आजाद का पोस्टर ले रखे प्रदर्शनकारियों ने ‘‘तानाशाही नहीं चलेगी’’ के नारे लगाए. जामा मस्जिद में नमाज के बाद यह प्रदर्शन लगभग दो घंटे तक चला.
कांग्रेस नेता अलका लांबा और दिल्ली के पूर्व विधायक शोएब इकबाल ने भी सीएए के खिलाफ प्रदर्शन किया. लांबा ने सरकार पर प्रहार करते हुए कहा, ‘‘देश में असल मुद्दा बेरोजगारी का है लेकिन आप (प्रधानमंत्री) लोगों को एनआरसी के लिए लाइन में खड़ा करना चाहते हैं जैसा नोटबंदी के दौरान किया गया था.’’ उन्होंने कहा, ‘‘देश और संविधान के लिए लोकतंत्र की आवाज उठाना आवश्यक है. केंद्र सरकार तानाशाह नहीं हो सकती और लोगों पर अपना एजेंडा नहीं थोप सकती है.’’
वहीं, पूर्व विधायक इकबाल ने कहा, ‘‘जो लोग हिंसा करते हैं, वे हममें से नहीं हैं. यह आंदोलन है और यह जारी रहेगा. अगर कोई हमारी शांति को भंग करता है तो वह हममें से नहीं है. वह हमारे आंदोलन को भटकाना चाहता है. हम हिंसा बर्दाश्त नहीं करेंगे. पिछले शुक्रवार को जो हिंसा हुई, हम उसकी निन्दा करते हैं.’’
मुंबई में समर्थन और विरोध में रैली
मुंबई में संशोधित नागरिकता कानून और एनआरसी के समर्थन और विरोध में रैलियां आयोजित की गयीं. छात्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने दक्षिणी मुंबई के आजाद मैदान में सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन किया वहीं ऐतिहासिक अगस्त क्रांति मैदान में सीएए के समर्थन में हुयी रैली में बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए. पिछले हफ्ते इस कानून के खिलाफ इसी मैदान पर एक विशाल प्रदर्शन हुआ था. आजाद मैदान में प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. कई प्रदर्शनकारियों के हाथों में बैनर थे जिन पर मोदी सरकार के खिलाफ नारे लिखे हुए थे.
अगस्त क्रांति मैदान में बीजेपी के संविधान सम्मान मंच द्वारा एक रैली आयोजित की गयी. सीएए के समर्थन में आयोजित इस रैली में लोग हाथों में तिरंगा लिए नजर आए. उन्होंने तख्तियां भी ले रखी थीं जिन पर सीएए और एनआरसी के समर्थन में संदेश लिखे थे. उनके पास डॉ बाबासाहेब आंबेडकर की तस्वीरें थी. मंच पर वीडी सावरकर, महात्मा ज्योतिबा फुले, भारत माता और साहू महाराज की बड़ी तस्वीरें भी दिखीं. संविधान सम्मान मंच शहर के विभिन इलाकों में इस तरह की रैलियां आयोजित कर रहा है. सीएए और एनआरसी के समर्थन में ऐसी एक रैली पिछले हफ्ते दादर में हुई थी.
आयोजकों की अगस्त क्रांति मैदान से लेकर गिरगाम चौपाटी स्थित लोकमान्य तिलक प्रतिमा तक समर्थन मार्च की योजना थी लेकिन मुंबई पुलिस ने कानून व्यवस्था के मुद्दों को लेकर उन्हें इसकी इजाजत देने से इनकार कर दिया.