दिल्ली में लगातार बढ़ते कोरोना के मामलों को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार को कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि आखिर सरकार को होश तब क्यों आया जब दिल्ली हाइकोर्ट ने सरकार जवाब मांगा.


कोर्ट ने पूछा की आखिर कोरोना के मामले बढ़ने के 18 दिन बाद ही क्यों शादियों की संख्या में आने वाले अतिथियों की संख्या को सीमित रखने का फैसला किया गया? क्यों नहीं ये फैसला पहले किया गया जब मामले बढ़ने शुरू हुए थे? कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा की क्या सरकार को पता है कि सरकार की ढ़िलाई की वजह से कितने लोगों की जान कोरोना की वजह से चली गई.


कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा, ''वैसे तो मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग की बात की जाती है लेकिन जमीनी स्तर पर कितने लोगों का पालन कर रहे हैं. लोगों में इसको लेकर कोई डर नहीं है लिहाजा इसका पालन भी कभी नहीं हो रहा. कोर्ट ने कहा कि हम लगातार खराब होते हालातों को देखते हुए चुपचाप नहीं बैठे रह सकते, हम सिर्फ मूकदर्शक नहीं बने रह सकते हैं.''


कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा, ''दिल्ली सरकार ने 1 नवंबर से जब से हालात खराब होने शुरू हुए थे, उसके बाद से लेकर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए. हम आपको यहां नींद से जगाने के लिए नहीं बैठे हैं यह जिम्मेदारी आप की थी कि आप वक्त रहते कार्रवाई करें.''


कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा इस समय दिल्ली में हालात ऐसे हैं कि जो लोग एहतियातन घर से नहीं भी निकल रहे हैं उनको भी कोरोना संक्रमण हो रहा है और यह बेहद चिंताजनक है.


कोर्ट ने कहा, ''हम यह नहीं कह रहे की सारी जिम्मेदारी से सरकार की ही है, नागरिकों की भी जिम्मेदारी है. लेकिन अगर नागरिक उनकी ज़िम्मेदारी को नहीं समझ रहे हैं तो सरकार को शक्तियों का इस्तेमाल कर नागरिकों को उनकी जिम्मेदारी का एहसास करवाना होगा.''