Organ Donation: वाह बेटी! पिता को बचाने के लिए लिवर किया दान, डॉक्टर ने बताया अब कैसी है हालत
Girl Saves Father: किसी भी परिवार के लिए पिता पालनहार की भूमिका में होता है. पिता का ठीक होना ही परिवार को सुकून देता है. एक बेटी ने अपने पिता को अंग दान कर परिवार को ऐसा ही सुकून दिया है.
Thrissur Girl Organ Donation To Her Father: 'पापा की परी' वाली कहावत एक किशोर उम्र की लड़की ने चरितार्थ कर दी है. किवदंतियों में जिस तरह से कोई परी जादू की छड़ी घुमाकर मनचाही मुराद पूरी कर देती है या मांगा गया उपहार प्रकट कर देती है, उसी तर्ज पर असल जिंदगी में छड़ी घुमाकर तो नहीं, लेकिन जीवनदान रूपी उपहार एक बेटी ने अपने पिता को जरूर दिया है. इससे बड़ा गिफ्ट किसी के लिए क्या हो सकता है!
बीमारी से जूझ रहे पिता की मदद कर परिवार के लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाने वाली इस बेटी का नाम देवानंद है. देवानंद केरल के त्रिशूर की रहने वाली हैं. उम्र महज 17 वर्ष है लेकिन हिम्मत का मत पूछिए. पिता को बीमारी से उबारने के लिए जरूरत आन पड़ी तो बेटी देवानंद ने लिवर को दान करने की हिम्मत दिखाई. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, देवानंद ने पिता को बचाने के लिए अपने लिवर का एक हिस्सा दान किया है.
पिता को लिवर का हिस्सा देने वाली बेटी ने क्या कहा?
देवानंद ने मीडिया को बताया, ''मैंने अपने पिता की जान बचाने के लिए यह किया है. इस बीमारी के दौरान हमने बहुत कुछ सहा है. किसी और परिवार को इस तरह की पीड़ा न झेलनी पड़े."
देवानंद, उनके पिता और परिवार के लोगों की तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें सबके चेहरे पर एक गहरा सुकून नजर आ रहा है. यह लाजमी भी है क्योंकि किसी भी परिवार के लिए पिता उसका पालनहार होता है. देवानंद ने जिस तरह से कहा है कि किसी और परिवार को ऐसी पीड़ा न झेलनी पड़े, यह दिखाता है कि उनकी परवाह के दायरे में केवल अपना परिवार नहीं है, बल्कि, एक जिम्मेदार नागरिक की तरह वह सबकी परवाह करती हैं.
केरल: त्रिशूर में एक 17 वर्षीय लड़की ने अपने बीमार पिता को बचाने के लिए अपने लिवर का एक हिस्सा दान किया।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 20, 2023
दान करने वाली लड़की देवानंद ने बताया, "मैं अपने पिता की जान बचाने के लिए यह किया है। इस बीमारी के दौरान हमने बहुत कुछ सहा है। किसी और परिवार को इस तरह की पीड़ा न झेलनी पड़े।" pic.twitter.com/Bx31SP3ulp
बेटी को अंग दान के लिए क्यों होना पड़ा मजबूर?
देवानंद को आखिर अपने पिता को लिवर का हिस्सा दान करने के लिए क्यों मजबूर होना पड़ा, इस बारे में इलाज करने वाले डॉक्टर ने बताया और पिता-बेटी की तबीयत के बारे में भी जानकारी दी. राजागिरी अस्पताल में मल्टि ऑर्गन ट्रांसप्लांट सेवाओं के प्रमुख रामचंद्रन नारायणमेनन ने कहा, ''देवानंद को कोई बड़ी समस्या नहीं है. उनके पिता भी ठीक हो रहे हैं. केरल में कुछ वर्षों में ब्रेन-डेड लोगों के अंगों का दान कम हुआ है, इसके चलते उन्होंने (देवानंद) अपने पिता को बचाने के लिए अंग दान किया.'' देवानंद ने जो काम किया है, उसके लिए उनकी सराहना की जानी चाहिए. उम्मीद है कि देवानंद से लोग प्रेरणा लेंगे और अपनी बेटियों को हमेशा आगे बढ़ाएंगे.
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