Kerala Administrative Tribunal: केरल प्रशासनिक ट्रिब्यूनल (KAT) ने शुक्रवार (06 जनवरी) को तीन लॉ कॉलेजों के प्रिंसिपलों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया. केएटी ने आदेश में कहा कि राज्य के तीन लॉ कॉलेजों के प्रिसिंपलों की नियुक्तियां रद्द कर दी जाती हैं क्योंकि उन्होंने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के नियमों का पालन नहीं किया है.
जिन लॉ कॉलेजों के प्रिंसिपलों की नियुक्ति रद्द की गई है उसमें तिरुवनंतपुरम, एर्नाकुलम और त्रिशूर लॉ कॉलेज शामिल हैं. केटीए ने अपने आदेश में कहा, "तीनों प्रिंसिपल की नियुक्ति 2010 के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों के मुताबिक नहीं की गई थी." एर्नाकुलम लॉ कॉलेज के शिक्षक ने इस संबंध में एक याचिका दायर किया था, इसी पर यह निर्णय लिया गया.
ऐसे ही मामले में SC रद्द की थी नियुक्ति
केटीए ने आदेश में कहा गया, "इनकी नियुक्ति में चयन समिति नियुक्त करने और शैक्षणिक योग्यता के आधार पर आवेदकों की रैंक सूची प्रकाशित नहीं की गई." यह आदेश अक्टूबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के तहत दिया गया, जिसमें तिरुवनंतपुरम में एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति को रद्द कर दिया गया था. इसे कानून की दृष्टि से खराब और यूजीसी के नियमों के विपरीत बताया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?
विश्वविद्यालय अधिनियम 2015 की धारा 13(4) का हवाला देते हुए शीर्ष अदालत ने कहा था कि समिति सर्वसम्मति से इंजीनियरिंग विज्ञान के क्षेत्र में प्रतिष्ठित व्यक्तियों में से कम से कम तीन उपयुक्त व्यक्तियों के एक पैनल की सिफारिश करेगी, जिसे विजिटर या चांसलर के सामने रखा जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान कहा था कि इस मामले में सिर्फ एक ही नाम की सिफारिश कुलाधिपति से की गई थी. कोर्ट ने इसे तर्कसंगत नहीं माना था.
इन लोगों की नियुक्ति रद्द हुई
वहीं रद्द की गई नियुक्तियों में तिरुवनंतपुरम लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल बीजू कुमार, एर्नाकुलम लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल बिंदू और त्रिशूर लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल पीआर जयदेवन शामिल हैं. बता दें कि एर्नाकुलम लॉ कॉलेज के शिक्षक डॉ गिरिशंकर द्वारा प्रस्तुत एक याचिका पर विचार करते हुए यह निर्णय लिया गया.
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