केरल की एक अदालत ने अलुवा में बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के मामले में दोषी शख्स को मंगलवार (14 नवंबर) को मौत की सजा सुनाई. विशेष पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अदालत के न्यायाधीश के. सोमन ने बिहार की पांच वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के लिए एक प्रवासी मजदूर अशफाक आलम को मौत की सजा सुनाई.
पूरा देश मंगलवार को बाल दिवस मना रहा है और इस दिन बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या के जुर्म में अशफाक आलम को दोषी ठहराते हुए कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई है. आज पॉक्सो अधिनियम को लागू हुए 11 साल हो गए हैं. 14 नवंबर, 2012 को यह अधिनियम लागू किया गया था.
अभियोजन पक्ष ने की थी फांसी की सजा की मांग
जिस समय दोषी आलम को सजा सुनाई गई, उस वक्त पीड़िता के माता-पिता अदालत में ही मौजूद थे. आलम को चार नवंबर को दोषी ठहराया गया था. अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया था कि मामला दुर्लभतम श्रेणी में आता है और इसलिए दोषी को मौत की सजा दी जानी चाहिए.
सभी 16 अपराधों में दोषी पाया गया आलम
अभियोजन पक्ष ने कहा था कि सजा पर बहस के दौरान, आलम ने अदालत में दावा किया था कि अन्य आरोपियों को छोड़ दिया गया और सिर्फ उसको ही मामले में पकड़ा गया. इसके अलावा उसने कोई अन्य दलील नहीं दी. अदालत ने आरोपपत्र में आलम को सभी 16 अपराधों का दोषी पाया था. अभियोजन पक्ष ने पूर्व में कहा था कि 16 में से पांच अपराधों में मौत की सजा का प्रावधान है.
28 जुलाई को हुई थी वारदात
यह घटना इसी साल 28 जुलाई की है. एक बिहार का प्रवासी परिवार केरल में किराए पर रहता था. 28 जुलाई अशफाक ने बच्ची का उसके किराए के घर से अपहरण कर लिया और फिर दुष्कर्म के बाद गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी और बच्ची का शव पास के अलुवा में एक स्थानीय बाजार के पीछे दलदली इलाके में फेंक दिया गया था. बच्ची के माता पिता की शिकायत पर छानबीन की गई तो सीसीटीवी फुटेज के आधार पर आरोपी को गिरफ्तार किया गया था.