10 साल पहले ट्रेन रोक कर कईयों की जान बचाने वाला अब मरने के बाद भी 8 लोगों को दे गया नई ज़िन्दगी
अंगदान करने के प्रति लोगों की जागरुकता कितनी बढ़ रही है इसमें कोई दो राय नहीं है. केरल से अंगदान का ऐसा मामला सामने आया है जो कि हर किसी के दिल को छू जाए.
![10 साल पहले ट्रेन रोक कर कईयों की जान बचाने वाला अब मरने के बाद भी 8 लोगों को दे गया नई ज़िन्दगी Kerala: Anujith who saved many lives by stopping the train 10 years ago, has given new life to 8 people even after his death- ann 10 साल पहले ट्रेन रोक कर कईयों की जान बचाने वाला अब मरने के बाद भी 8 लोगों को दे गया नई ज़िन्दगी](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/07/23030455/anujith.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
केरल: तिरुवनंतपुरम में ब्रेन डेड घोषित हुए अनुजीत ने अलविदा कह कर भी 8 लोगों को नई ज़िन्दगी दी है. अनुजीत ने लॉकडाउन के दौरान ड्राइवर की नौकरी खो दी थी, जिसके बाद उन्होंने सुपर मार्केट में जॉब ज्वाइन की. अपने गृह जिले कोल्लम के कोट्टाराकारा में 14 जुलाई करीब रात 11.30 बजे घर लौटते वक़्त अनुजीत के बाइक के सामने एक शख़्स आया. उसे बचाने की कोशिश में अनुजीत की बाइक फिसल गई, जिससे उसे गहरी चोट आई.
इस रोड एक्सिडेंट के बाद उन्हें कोट्टाराकारा के ही अस्पताल ले जाया गया. वहां से उन्हें तिरुवनंतपुरम मेडिकल अस्पताल रेफर किया गया. वहां से उन्हें किम्स अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई.
दस साल पहले 2010 में अनुजीत ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर बहादुरी दिखाते हुए कई लोगों की जान बचाई थी. दरसअल रेलवे ट्रैक पर क्रैक देखते ही अनुजीत ने लाल बैग लोको पायलट को दिखा कर ट्रेन रुकवाई थी, जिससे बड़ा हादसा होते होते टल गया था और कई लोगों की जान बच गई.
अब मौत के बाद भी अनुजीत ने 8 लोगों को दी है नई ज़िंदगी 17 जुलाई को ब्रेन डेड घोषित होने के बाद 27 वर्षीय अनुजीत की पत्नी प्रिंसी और बहन अजल्या ने अनुजीत के अंगों को दान करने का फैसला किया. अनुजीत का एक तीन साल का बेटा भी है. पत्नी प्रिंसी और बहन अजल्या आठ व्यक्तियों के जीवन को बचाने के लिए अनुजीत का हार्ट, गुर्दे, आंखें, छोटी आंत और हाथ दान करने के लिए आगे आए.
अनुजीत के हार्ट को एर्नाकुलम के प्राइवेट अस्पताल में भर्ती एक 55 वर्षीय मरीज को दान किया गया. हार्ट को इमरजेंसी के लिए तैनात सरकारी हेलीकॉप्टर की मदद से एर्नाकुलम ले जाया गया. स्वास्थ्य मंत्री के शैलजा ने दुख की घड़ी में इस मानवीय कदम को उठाने के लिए परिवार की सराहना की और परिवार के प्रति संवेदना भी व्यक्त की.
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