कन्नूर: सबरीमाला मुद्दे पर अमित शाह का कन्नूर में दिया बयान सियासी गलियारों में बहस का विषय बन गया है. बीजेपी अध्यक्ष शाह ने कहा है कि मान्यताओं से जुड़े केस में कोर्ट को ऐसा फैसला देना चाहिए जिनका पालन हो सके. शाह के इस बयान को केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन एजेंडा करार दिया है. उन्होंने कहा, "अमित शाह का बयान संविधान और कानून के खिलाफ है. यह उनकी साफ मंशा दिखाता है कि लोगों को मौलिक अधिकार नहीं मिले. यह आरएसएस और संघ परिवार का एजेंडा दिखाता है."
विजयन ने आगे कहा," हमारी सरकार गिराने की धमकी देने वाले अमित शाह को ध्यान में रखना चाहिए कि हम बीजेपी नहीं जनता की कृपा से सत्ता में आए हैं. उनका संदेश जनमत को नुकसान पहुंचाने का है."
बता दें कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने शनिवार को केरल के कुन्नूर में सबरीमाला विवाद पर कहा कि मान्यताओं से जुड़े केस में कोर्ट ऐसे फैसले दे जिनका पालन हो सके. शाह ने कहा कि सरकार और कोर्ट को ऐसे फैसले नहीं सुनाने चाहिए, जिनका पालन न करवाया जा सके और जो आस्था से जुड़े हों. उन्होंने कहा कि केरल की वाम सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के नाम पर श्रद्धालुओं की भावनाओं से खेल रही है और वामपंथी सरकार प्रदर्शनों को ताकत के बल पर दबाना चाहती है. शाह ने आगे कहा कि किसी मंदिर में दर्शन करने से स्त्री-पुरुष समानता नहीं आती.
राज्य के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि उनकी सरकार का विरोध प्रदर्शन को दबाना ‘‘आग से खेलने’’ के समान है. शाह ने कहा, ‘‘सुप्रीम कोर्ट के फैसले के क्रियान्वयन के नाम पर मुख्यमंत्री को बर्बरता बंद करनी चाहिए.’’ शाह ने कहा, यहां तक कि प्रदेश में महिलाएं भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के क्रियान्वयन के खिलाफ हैं.
बीजेपी अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि वामपंथी सरकार सबरीमला मंदिर को ‘‘बर्बाद’’ करने की कोशिश कर रही है और उनकी पार्टी माकपा के नेतृत्व वाली सरकार को हिंदु धर्म को दांव पर नहीं लगाने देगी. शाह ने आगे कहा, ‘‘किसी भी दूसरे अयप्पा मंदिर में महिलाओं के पूजा करने पर कोई पाबंदी नहीं है.सबरीमाला मंदिर की विशिष्टता को बचाए रखना चाहिए.’’
बीजेपी अध्यक्ष ने कहा, ‘‘कम्युनिस्ट सरकार मंदिरों के खिलाफ साजिश रच रही है. उन्होंने केरल में आपातकाल जैसी स्थिति बना दी है.’’ वामपंथी सरकार के पूर्व के कई अदालती आदेशों को लागू न किये जाने को याद करते हुए उन्होंने कहा कि इस मामले में अदालत के आदेश का क्रियान्वयन लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए.