तिरुवनंतपुरम: केरल में आयी बाढ़ के दौरान भारत की सेनाओं ने सराहनीय कार्य किया, यहां तक कि मछुआरों ने भी लोगों को बचने के लिए कमान संभाल ली थी. लेकिन इनके अलावा केरल में बाढ़ से हुई तबाही में लोगों को बचाने के लिए प्रशासन ने भी ऐसा काम किया जिसे हर कोई सराह रहा है. कई आईएएस और आईपीएस ऑफिसर्स की कहानियां सामने आ रही है जिन्होंने हर परिस्थिति में लोगों की जान बचाई और लोगों हर तरह की राहत सामग्री पहुंचाई. इन नामों में राजमणिक्यम, कृष्णा तेजा, टीवी अनुपमा, के वासुकि का नाम भी शामिल है.


अधिकारी ने दो लाख लोगों की जान बचाई
कृष्णा तेजा अलापुला ज़िले के सब कलेक्टर है. एक ऐसे आईएएस अधिकारी, जिनकी वजह से तबाही आने से पहले ही लाखों लोगों को बचा लिया गया और तीन दिन में करीब 2 लाख लोगों की जिंदगी बच गई. दरअसल, 16 अगस्त 2018 को केरल के वित्त मंत्री डॉक्टर थॉमस और कृष्णा तेजा रात को बैठक कर रहे थे, तभी उन्हें एक संदेश प्राप्त हुआ. उन्हें पता चला कि चेंगन्नूर और कुट्टानाड में भारी बारिश की वजह से बांध भर गए हैं और जल्द ही उन्हें खोला जा रहा है.


उसी वक्त आईएएस अधिकारी ने सोचा कि अगर बांध के गेट खोले गए तो कुट्टानाड में हालात खराब हो जाएंगे और हजारों लोगों की जिंदगी पर असर पड़ेगा. उस वक्त उन्होंने एक मिनट की देरी किए बिना ही कुट्टानाड में ऑपरेशन शुरू कर दिया. उस ऑपरेशन में दो दिन में करीब 2 लाख लोगों को बचा लिया गया और उन्हें राहत कैंप में शिफ्ट किया गया. बता दें कि उस दौरान राहत कार्य में भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, क्योंकि वहां राहत कार्य के लिए नाव के लिए इस्तेमाल करना पड़ा.


आईएएस अधिकारी का कहना है कि इस ऑपरेशन से मीडिया को दूर रखा गया, क्योंकि इससे पैनिक होने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे भगदड़ भी हो सकती थी. बता दें कि बाढ़ के वक्त एनडीआरएफ ने भी काफी मदद की थी. इस दौरान 220 लोगों की सात टीम बनाई गई, जिन्होंने अलग अलग जगहों पर जाकर राहत कार्य में सहयोग किया. दो महीने पहले ही टीवी अनुपमा थ्रिस्सूर की कलेक्टर इंचार्ज के तौर पर नियुक्त हुई थी. रेके ऑपरेशन, सप्लाई और जनता को हर पल की अपडेट देने में इस महिला अफसर ने कोई कसार नहीं छोड़ी.


बार एसोसिएशन ने भी राहत कार्य में की मदद
केरल में जब मंदिर, मदरसा और गिरजाघर लोगों के लिए घोले गए थे उस वक़्त बार एसोसिएशन को भी लोगों के लिए खुलवाया गया था. बार एसोसिएशन को निर्देश देकर लोगों के लिए खोलने को कहा था. उस इमरजेंसी हालात में सप्लाई के लिए सामन को रखने के कमरे लॉक्ड थे. उन बंद कमरों को बिना किसी देरी किये तालों को तुड़वा कर फौरान ही खोल दिए गए. जिसे हज़ारों लोगों ने साहसी कदम के तौर पर सराहा.


के वासुकि भी इन्ही साहसी अफसरों में शामिल है. तिरुवनंतपुरम की कलेक्टर ने रिलीफ कैंप में लोगों का हौसला यह कहते हुए बढ़ाया कि दुनिया को दिखाने का वक़्त आ गया है कि मलयाली लोग क्या कर सकते हैं. भले ही तिरुवनंतपुरम ज्यादा प्रभावित नहीं हुआ लेकिन इस कलेक्टर ने लोगों से ऐसी अपील की कि बाकी ज़िलों के लिए भारी संख्या में राहत सामग्री एकत्रित हो सकी. उनके इस हौसले के कारण लोगो ने लगभग 54 ट्रक अलग-अलग राहत सामग्री से भर दिए जिन्हें अलग-अलग ज़िलों में भेज दिया गया.


वासुकि ने लोगों से कहा कि आप उस फ़ौज की तरह काम कर रहे हो जो कभी आज़ादी के वक़्त देखी गयी थी. आपकी चर्चा न सिर्फ देश बल्कि विदेश में हो रही है. राजमणिकम, आईएएस अफसर और वायनाड के सब कलेक्टर एनएसके उमेश ने भी केवल ऑर्डर्स ना देकर ज़मीनी स्तर पर कमान संभाली. इन दोनों अफसरों की चर्चा सोशल मीडिया पर खूब हुई.


इन्होने किसी का इंतज़ार न करते हुए खुद ही काम करना ज्यादा मुनासिब समझा. न सिर्फ वायनाड बल्कि एर्नाकुलम में भी बड़े पैमाने पर रिलीफ कार्य किया गया. कुछ इस तरह ये सिविल सर्वेंट अपनी ड्यूटी से बढ़कर लोगों की मदद करने मसीहा बनकर पहुंचे.


मास्टर स्ट्रोक: फुल एपिसोड । 28 जुलाई 2018