नई दिल्ली: केरल में बाढ़ राहत को लेकर उठ रहे सवालों के बीच मोदी सरकार ने कहा है कि केरल सरकार को अबतक दिए गए 600 करोड़ रूपए की सहायता केवल अंतरिम और आपात सहायता है. राज्य में बाढ़ से हुए नुकसान का पूरा मूल्यांकन होने के बाद राज्य को और वित्तीय सहायता दी जाएगी. सरकार के मुताबिक़ ऐसी आपदाओं से निपटने में मदद के लिए राज्य आपदा राहत कोष में केंद्र सरकार की ओर से दी गई 562 करोड़ रूपए की राशि पहले से मौजूद थी.


कई तरह की मदद दे रही है सरकार


सरकार ने कहा है कि 600 करोड़ रूपए की अंतरिम सहायता के अलावा कई और तरीकों से केरल की मदद की जा रही है. इसमें प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से मरने वालों के परिजनों और घायलों को मुआवज़ा, बाढ़ से ख़राब हुए घरों को ठीक करने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सहायता, मनरेगा के तहत 5.5 करोड़ प्रति व्यक्ति प्रति दिन की विशेष सहायता के अलावा एनएचएआई और एनटीपीसी जैसी केंद्र सरकार की एजेंसियों द्वारा नष्ट हुईं सड़कों को ठीक करना और बिजली सप्लाई बहाल करने जैसी सहायता शामिल हैं.


बाकी सहायता के लिए बनी है प्रक्रिया


सरकार ने सफ़ाई देते हुए कहा है कि त्वरित और अंतरिम राहत के अलावा राज्यों को दी जाने वाली सहायता के लिए एक प्रक्रिया बनी हुई है. इसके तहत संबंधित राज्यों को एक विस्त़त ज्ञापन देना पड़ता है जिसमें अलग अलग क्षेत्रों में हुए नुकसान का पूरा ब्यौरा और पैसों की ज़रूरत की जानकारी दी जाती है. राज्य सरकार के ज्ञापन के बाद केंद्र सरकार की एक अंतर मंत्रालय टीम राज्य का दौरा करती है और नुकसान का पूरा जायज़ा लेकर अपनी रिपोर्ट देती है. गृह मंत्री की अध्यक्षता में बनी मंत्रियों की एक उच्चस्तरीय समिति इस रिपोर्ट पर विचार कर अतिरिक्त सहायता पर फ़ैसला करती है.


राज्य ने ही की थी ग़ुज़ारिश


केरल के मामले में राज्य सरकार ने 21 जुलाई को एक अंतरिम ज्ञापन सौंपा था जिसके बाद केंद्र सरकार की अंतर मंत्रालयी टीम ने 7 से 12 अगस्त के बीच राज्य का दौरा किया. इसके पहले कि टीम की रिपोर्ट पर कुछ फ़ैसला हो पाता, राज्य सरकार ने केंद्र को बताया कि बाढ़ और भूस्खलन से दोबारा हुए नुकसान का आंकलन कर एक अतिरिक्त ज्ञापन सौंपा जाएगा. अब चूंकि अतिरिक्त ज्ञापन में समय लग सकता है इसलिए केंद्र सरकार ने अंतरिम सहायता के तौर पर राज्य को 600 करोड़ रूपए देने का फ़ैसला किया है.