नई दिल्ली: केरल बाढ़ ने ना सिर्फ आम जनजीवन अस्त व्यस्त किया है बल्कि लोगों के खुश रहने के लिए मनाए जाने वाले त्योहारों पर भी असर डाला है. आज केरल का सबसे बड़ा त्योहार ओणम है. ओणम के दिन आमतौर पर बाजारों और घरों में भारी रौनक रहती है लेकिन आज बाढ़ की वजह से हालात यह हैं कि लोग चुपचाप अपने घरों में अपनी ज़िंदगी की पटरी पर वापस लौटने की ज़द्दोज़हद में लगे हैं. आज बाज़ार सूने हैं और मंदिरों में लगने वाली सैकड़ों की लाइन भी आज नदारद है.
सावन महीने की त्रयोदशी को ओणम मनाया जाता है. ओणम वैसे तो 4 दिन का होता है लेकिन इसके दो दिन महत्वपूर्ण होते हैं. इस दौरान लोग खुद सजते हैं, अपने घर सजाते हैं. अच्छे-अच्छे पकवान बनाते हैं, नृत्य करते हैं और रंगोली बनाते हैं. इस बार त्योहार के प्रमुख दो दिन 24 और 25 अगस्त को मनाया जा रहा है. 24 अगस्त यानी आज उथ्रादम (पहला ओणम) और 25 अगस्त को थिरूओणम (प्रमुख ओणम) मनाया जाएगा. ऐसी मान्यता है कि थिरूओणम के दिन असुर राजा महाबली अपनी प्रजा से मिलने आते हैं और उन्हीं की स्वागत में यह पर्व मनाया जाता है.
त्रिशूर के मुख्य बाजार में कपड़ों की दुकान चलाने वाले विजय राघवेंद्र ने कहा कि इस साल त्योहार पूरी तरह फीका दिखाई दे रहा है. मोहन नाम के व्यापारी त्रिशूर के मुख्य बाज़ार में कॉस्मेटिक्स का सामान बेचते हैं. उन्होंने भी कहा कि इस साल त्योहार की रौनक देखने को नहीं मिल रही है. उन्होंने कहा कि पहले जहां रोज़ाना वो 25 से 30 हज़ार की बिक्री करते थे वहीं आज बिक्री घटकर मात्र 5 हज़ार के आसपास रह गई है.
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नौकरी से सेवानिवृत्त सुरेश ने कहा कि बाढ़ की वजह से लोग 15-20 साल पीछे चले गए हैं और इस साल बाजारों में मौजूद खालीपन देखकर पता चल रहा है कि कैसे बाढ़ ने लोगों को प्रभावित किया है. ओणम के त्योहार में लोग अपने घरों में फूलों से रंगोली बनाते हैं लेकिन इस साल फूलों के बाज़ार में भी उंगलियों पर गिने जा सकने वाले लोग दिखे.
केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने राज्य में बारिश और बाढ़ के कारण सदी के सबसे बुरे हालात के मद्देनजर पिछले दिनों कहा था कि ओणम उत्सव को रद्द कर दिया गया है. केरल सरकार ने राज्य भर में सांस्कृतिक समारोह आयोजित करने के लिए दी जानी वाली 30 करोड़ रुपये की राशि को मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष में देने का फैसला किया. दो दिनों पहले मनी ईद/बकरीद पर भी बाढ़ का असर दिखा. लोगों ने सामाजिक सौहार्द्र के लिए त्योहार नहीं मनाया और एक दूसरी की मदद करते दिखे.
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