Kerala Government Vs Governor: केरल में सरकार बनाम राज्यपाल की लड़ाई लगातार बढ़ती जा रही है. आलम ये है कि केरल के मुख्यमंत्री सीधे राज्यपाल पर निशाना साध रहे हैं. सीएम पिनराई विजयन सरकार अब राज्यपाल को चांसलर के पद से हटाने के लिए हर हथकंडा अपनाने को तैयार है. अब इसके लिए सीएम विजयन जल्द एक अध्यादेश लाने जा रहे हैं. आने वाले विधानसभा सत्र के दौरान इस अध्यादेश को लाया जा सकता है. इसे लेकर कैबिनेट की बैठक में फैसला भी हो चुका है. 


शिक्षा मंत्री ने दी जानकारी 
केरल की उच्च शिक्षा मंत्री आर बिंदू ने इस मामले को लेकर कहा कि एलडीएफ सरकार एक अध्यादेश के जरिए राज्य के विश्वविद्यालयों के चांसलर के रूप में राज्यपाल की जगह विशेषज्ञ शिक्षाविदों को लाने पर विचार कर रही है. मुख्यमंत्री कार्यालय के एक सूत्र ने बताया कि मंत्रिमंडल की बैठक में इस बाबत अध्यादेश जारी करने का फैसला किया गया है. बिंदू ने कहा कि सरकार ने राज्य में उच्च शिक्षा और विश्वविद्यालयों में सुधार के लिए यह फैसला किया है. क्या राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान इस अध्यादेश पर हस्ताक्षर करेंगे, इस सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्री ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि राज्यपाल अपने संवैधानिक दायित्वों के अनुरूप काम करेंगे. राज्य सरकार का यह कदम विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति समेत कामकाज के तमाम विषयों पर राज्यपाल और उसमें चल रहे गतिरोध के बीच आया है. 


कुलपतियों पर एक्शन न लेने के निर्देश


केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्यपाल व राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति आरिफ मोहम्मद खान को अदालत में मामले की सुनवाई होने तक उन कुलपतियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है, जिन्हें उन्होंने कारण बताओ नोटिस भेजा था. जस्टिस देवन रामचंद्रन ने कुलाधिपति को अपना जवाब दाखिल करने के लिए तीन दिन का समय दिया और मामले की आगे की सुनवाई के लिए 17 नवंबर की तारीख तय की.


आरिफ खान ने विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में राज्य के 11 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. कुलपतियों ने नोटिस के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाते हुए दावा किया था कि यह अवैध और अमान्य है. राज्यपाल आरिफ खान ने अदालत को बताया कि सभी कुलपतियों ने उनके नोटिस का जवाब दिया है.


शीर्ष अदालत ने 21 अक्टूबर को एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की कुलपति की नियुक्ति को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अनुसार, राज्य द्वारा गठित तलाश समिति को कुलपति पद के लिए अभियांत्रिकी विज्ञान क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोगों के बीच से कम से कम तीन उपयुक्त व्यक्तियों के एक पैनल की सिफारिश करनी चाहिए थी, लेकिन इसके बजाय उसने केवल एक ही नाम भेजा.


उस आदेश के आधार पर राज्यपाल ने कुलपतियों के इस्तीफे मांगे थे, जिनके नाम केवल नियुक्ति के लिए अनुशंसित थे. इनमें वे कुलपति भी शामिल थे जिन्हें एक समिति द्वारा चुना गया था, जिसमें राज्य के मुख्य सचिव सदस्य थे. खान ने इसे यूजीसी के नियमों का उल्लंघन बताया था.


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