नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी को लेकर देश के कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. अब सीएए से जुड़ी बड़ी खबर आई है. केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस कानून के खिलाफ याचिका दायर की है. केरल ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. हालांकि सीएए की संवैधानिक वैधता के खिलाफ पहले से सुप्रीम कोर्ट में करीब 60 याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं.


कानून को असंवैधानिक करार देने की मांग


केरल सरकार की तरफ से दायर याचिका में नए नागरिकता संशोधन कानून को धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ बताया गया है. राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से इस कानून को असंवैधानिक करार देने की मांग की है. बताया जा रहा है कि सीएए से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में 22 जनवरी को सुनवाई होनी है. इस याचिका की सुनवाई भी बाकी याचिकाओं के साथ हो सकती है.


बाकी याचिकाओं में क्या कहा गया है?


सुप्रीम कोर्ट में दाखिल ज्यादातर याचिकाओं में धर्म के आधार पर शरणार्थियों को नागरिकता देने वाले कानून को संविधान के खिलाफ बताया गया है. याचिकाओं में कहा गया है कि नागरिकता संशोधन कानून भारत के पड़ोसी देशों से हिंदू, बौद्ध, ईसाई, पारसी, सिख, जैन जैसे समुदाय के सताए हुए लोगों को नागरिकता देने की बात करता है. लेकिन इसमें जानबूझकर मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है. भारत का संविधान इस तरह का भेदभाव करने की इजाजत नहीं देता. ये धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ भी है. सुप्रीम कोर्ट तुरंत इस कानून को असंवैधानिक करार दे.


कानून में क्या है?


सीएए के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान समेत आस-पास के देशों से भारत में आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी धर्म वाले लोगों को नागरिकता दी जाएगी. ये कानून अमल में लाया जा चुका है. इस कानून में छह गैर-मुस्लिम समुदायों- हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी धर्म से संबंधित अल्पसंख्यक शामिल हैं. कानून के तहत 31 दिसंबर 2014 तक धर्म के आधार पर प्रताड़ना के चलते पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए धार्मिक अल्पसंख्यक के लोगों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी.


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