Kerala Govt Plea: केरल सरकार ने एक असामान्य कदम उठाते हुए राज्य विधानसभा से पारित चार विधेयकों पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी न मिलने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, वकील सीके ससी के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि यह मामला केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की ओर से उन सात विधेयकों को अपने पास रोके रखने के कृत्य से संबंधित है, जिन्हें उन्हें स्वयं राष्ट्रपति को सौंपना था.


केरल सरकार ने राज्यपाल की कार्रवाई पर उठाया सवाल


याचिका में कहा गया कि सात विधेयकों में से किसी का भी केंद्र-राज्य संबंधों से कोई लेना-देना नहीं है. राज्य सरकार ने कहा कि ये विधेयक राज्यपाल के पास लगभग दो साल से लंबित थे और उनकी कार्रवाई ने राज्य विधानमंडल के कामकाज को प्रभावित किया है.


याचिका में कहा गया है कि इन विधेयकों में जनहित के विधेयक शामिल हैं जो जनता के अच्छे के लिए हैं और यहां तक कि राज्यपाल की ओर से अनुच्छेद 200 के प्रावधानों के अनुसार उनमें से प्रत्येक को 'जितनी जल्दी हो सके' निपटाने में विफल रहने के कारण इन्हें अप्रभावी बना दिया गया है.


केरल सरकार की याचिका में इन 4 विधेयकों का जिक्र


केरल सरकार ने कहा कि 23 और 29 फरवरी को गृह मंत्रालय ने उसे सूचित किया कि राष्ट्रपति ने सात में से चार विधेयकों पर मंजूरी रोक दी है. इन विधेयकों में विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) (नंबर 2) विधेयक, 2021; केरल सहकारी सोसायटी (संशोधन) विधेयक, 2022; विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक, 2022; और विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) (नंबर 3) विधेयक, 2022 शामिल हैं.


याचिका में सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया गया कि राष्ट्रपति की ओर से बिना कारण बताए इन विधेयकों को मंजूरी न देने को असंवैधानिक घोषित किया जाए. सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाली वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) सरकार ने केंद्र सरकार, राष्ट्रपति के सचिव, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और उनके अतिरिक्त सचिव को मामले में पक्षकार बनाया है.


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