Kerala Minor Girl Abortion: केरल हाई कोर्ट (Kerala High Court) ने एक 15 वर्षीय नाबालिग लड़की का अबॉर्शन करने की अनुमति दी है. जिसे उसके भाई ने गर्भवती कर दिया था. बार एंड बेंच के मुताबिक याचिका नाबालिग लड़की के पिता ने दायर की थी. कोर्ट ने अबॉर्शन (Abortion) की उनुमति देते हुए कहा है कि यदि गर्भपात की अनुमति नहीं दी गई तो विभिन्न सामाजिक और मेडिकल समस्याएं पैदा हो सकती हैं.


जस्टिस जियाद रहमान एए ने कहा कि लड़की की जांच के लिए गठित एक चिकित्सकीय बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार 32 सप्ताह से अधिक की गर्भावस्था को जारी रखने से 15 वर्षीय पीड़िता के सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है. उन्होंने कहा कि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि उसका जन्मा बच्चा उसके सगे भाई का होगा, उसके लिए विभिन्न सामाजिक और चिकित्सीय जटिलताएं उत्पन्न होने की आशंका है. ऐसी परिस्थितियों में, याचिकाकर्ता की ओर से गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए मांगी गई अनुमति अपरिहार्य है. 


"जीवित बच्चे को जन्म देने की संभावना"


अदालत ने कहा कि चिकित्सकीय रिपोर्ट पर गौर करने के बाद यह पता चलता है कि लड़की गर्भपात के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ है. गर्भावस्था को जारी रखने से उसके सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर चोट पहुंचने की आशंका है. अदालत ने कहा गया कि चिकित्सकीय बोर्ड के मुताबिक लड़की की ओर से जीवित बच्चे को जन्म देने की संभावना है. जस्टिस रहमान ने कहा कि ऐसी परिस्थिति में, मैं याचिकाकर्ता की बेटी की चिकित्सीय तरीके गर्भपात कराने की अनुमति देता हूं. 


अगली सुनवाई 19 मई को होगी


अदालत ने मामले को 19 मई से एक सप्ताह बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया. अदालत ने कहा कि अगली तारीख पर प्रक्रिया पूरी होने के संबंध में एक रिपोर्ट अदालत के समक्ष पेश की जाए. कोर्ट ने जिला चिकित्सा अधिकारी और सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक को बिना किसी देरी के नाबालिग लड़की के गर्भ को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया.  


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