केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार (29 अगस्त, 2024) को पुलिस को वडकारा निर्वाचन क्षेत्र में लोकसभा चुनाव से कुछ घंटे पहले चलाए गए विवादास्पद काफिर अभियान के स्रोत का पता लगाने का निर्देश दिया है.


इस अभियान के बाद केरल में कांग्रेस-नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (UDF) और माकपा-नीत वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) के बीच इस बात को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया था कि ऐसा किसने किया. जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस ने यह भी कहा कि पुलिस द्वारा दर्ज किए गए बयानों के आधार पर जिन लोगों के नाम प्राप्त किए गए हैं, उनमें से कुछ से पूछताछ नहीं की गई है.


हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि ऐसे व्यक्तियों से पूछताछ की जाए. कोर्ट ने जांच दल को याचिकाकर्ता की इस दलील की भी पड़ताल करने का निर्देश दिया कि किसी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए जालसाजी के अपराध को भी मामले में शामिल किया जाना चाहिए.


याचिकाकर्ता मुहम्मद खासिम पी के ने कोर्ट को बताया कि फिलहाल आईपीसी की धारा 153ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और केरल पुलिस अधिनियम की धारा 120(ओ) (किसी भी संचार माध्यम से बार-बार या अवांछनीय या गुमनाम कॉल, पत्र, लेखन, संदेश आदि के माध्यम से उपद्रव करना) के तहत मामला दर्ज किया गया है.


याचिकाकर्ता ने 'काफिर' अभियान की उचित जांच की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. यह मुद्दा वडकारा चुनाव से पहले सोशल मीडिया पर डाले गए एक पोस्ट से संबंधित है, जिसमें कथित तौर पर लोगों से एलडीएफ उम्मीदवार के. के. शैलजा को काफिर बताकर उन्हें वोट न देने के लिए कहा गया था.


सरकार ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया कि विभिन्न व्यक्तियों के मोबाइल फोन जब्त कर लिए गए हैं और उन्हें फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है. सरकार ने यह भी कहा कि मामले की जांच अच्छी तरह से आगे बढ़ रही है. पुलिस ने कोर्ट को बताया कि जांच के संबंध में उसकी टिप्पणियों से जांच पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई छह सितंबर को तय की है.


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