Adoption Rule: गोद लेने के बाद बच्चे का नहीं हो सकेगा DNA टेस्ट! हाईकोर्ट ने बनाई गाइडलाइंस, यहां पढ़ें जरूरी बातें
Kerala High Court News: हाईकोर्ट ने कहा है कि गोद लिए गए बच्चों को भी निजता का अधिकार है, भले ही किसी भी उम्र में ही क्यों न हों. आइए जानते हैं कि गाइडलाइंस में क्या-क्या कहा गया है.
Kerala High Court: देश में कई माता-पिता ऐसे हैं, जो निसंतान रह जाते हैं, जिनके बाद उन्हें बच्चों को गोद लेकर अपनी ख्वाहिश पूरी करनी पड़ती है. कई बार ऐसा भी देखने को मिलता है, जब गोद लिए गए बच्चे किसी दुष्कर्म पीड़िता के होते हैं. हालांकि, कुछ मामलों में इन बच्चों के डीएनए टेस्ट की जरूरत पड़ जाती है. यही वजह है कि केरल हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िताओं से पैदा हुए बच्चों के डीएनए सैंपल इकट्ठा करने के लिए गाइडलाइंस तय की है.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस के बाबू ने कहा है कि उन्होंने ऐसे कई मामलों को देखा है, जिसमें गोद लिए गए बच्चों का डीएनए टेस्ट करने का आदेश दिया गया है. खासतौर पर उन बच्चों से डीएनए सैंपल लेने को कहा जाता है, जो दुष्कर्म पीड़िताओं से पैदा हुए हैं. उन्होंने कहा कि यहां हैरानी वाली बात ये है कि कई मामलों में ऐसा भी देखने को मिला है, जब ऐसे बच्चों का सैंपल लिया जा रहा होता है, तो वे इस बात को समझ जाते हैं कि ऐसा क्यों किया जा रहा है.
बच्चों को गोद लिए होने का पता चलना भावनात्मक रूप से ठीक नहीं
कोर्ट ने कहा, "कुछ मामलों में माता-पिता बच्चे को गोद लेने की बात भी नहीं बताते हैं. बच्चा गोद लिए गए परिवार के साथ इतनी अच्छी तरह घुल-मिल जाता है कि जब उसे अचानक यह पता चलता है कि वह एक गोद लिया हुआ बच्चा है, वह भी एक दुष्कर्म पीड़िता का तो उसकी भावनात्मक स्थिति असंतुलित हो सकती है. इसकी वजह से उसमें व्यवहार संबंधी विकार और असामान्यताएं पैदा हो सकती हैं. डीएनए टेस्ट की वजह से गोद लेने की अवधारणा ही फेल हो जाती है."
केरल हाईकोर्ट ने गाइडलाइंस में क्या कहा है?
हाईकोर्ट ने कहा कि गोद लिए गए बच्चों के निजता के अधिकार का किसी भी उम्र में उल्लंघन नहीं किया जा सकता है, भले ही वे दुष्कर्म पीड़िता के यहां ही क्यों न पैदा हुए हों. इसके साथ ही अदालत ने निम्नलिखित गाइडलाइंस जारी की:-
- अदालतें गोद लिए गए बच्चों की डीएनए जांच की मांग करने वाले आवेदनों पर विचार नहीं करेंगी. इसका मतलब हुआ कि बच्चों का डीएनए टेस्ट करना मुश्किल हो जाएगा.
- बाल कल्याण समिति यह देखेगी कि गोद दिए जाने वाले बच्चों के डीएनए सैंपल गोद लेने की प्रक्रिया पूरी होने से पहले ले लिए जाएं.
- गोपनीयता को लेकर लागू किसी कानून के इतर के गोद लेने की प्रक्रिया में शामिल सभी एजेंसियां या प्राधिकरण यह सुनिश्चित करेंगे कि गोद लेने के रिकॉर्ड की गोपनीयता बनाए रखी जाए.
- यहां तक कि ऐसे मामलों में जहां बच्चों को गोद नहीं दिया गया है, अदालत 'प्रमुख आवश्यकता' के सिद्धांत और डॉक्टरीन के सिद्धांत का आकलन करने के बाद ही दुष्कर्म पीड़ित के बच्चों के डीएनए टेस्ट के अनुरोध पर विचार करेगी.
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