Kerala: ‘आराध्य का दर्शन मेरा अधिकार, मंदिर जाने की दें अनुमति’, केरल हाई कोर्ट में महिला की गुहार
Kerala High Court hearing: केरल की एक दिव्यांग महिला ने हाईकोर्ट की एक पत्र लिखकर कहा है कि राज्य के मंदिरों में व्हीलचेयर पर प्रवेश की अनुमति नहीं है. यह आराध्य के दर्शन के अधिकार से वंचित करना है.
Kerala High Court News: केरल हाई कोर्ट ने शारीरिक रूप से अक्षम भक्तों को उचित दर्शन करने में सक्षम बनाने के लिए मंदिरों में व्हीलचेयर की अनुमति देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई शुरू की है. एक दिव्यांग भक्त की ओर से लिखित शिकायत के आधार पर हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर मामला शुरू किया है.
न्यायमूर्ति अनिल के नरेंद्रन और न्यायमूर्ति हरिशंकर वी मेनन की बेंच ने याचिका पर विचार करते हुए राज्य, त्रावणकोर, कोचीन और मालाबार देवासम बोर्ड को चार हफ्ते में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि इसमें क्या कुछ तैयारी की जा सकती है और क्या कुछ सुझाव हैं इस बारे में विस्तार से बताएं. बेंच ने मामले में वकील वी रामकुमार नांबियार को एमिकस क्यूरी (न्याय मित्र) नियुक्त किया और याचिका की सनी के लिए अगली तारीख 20 मई मुकर्रर की.
महिला श्रद्धालु ने लिखा हाई कोर्ट को पत्र
यह मामला एक महिला भक्त की ओर से बेंच को लिखी गई शिकायत से शुरू हुआ. महिला श्रद्धालु ने खत के जरिए कहा कि चूंकि वह शारीरिक रूप से अक्षम है, इसलिए उसे कहीं भी आने-जाने के लिए व्हीलचेयर का उपयोग जरूरी है. चूंकि. मंदिर के अधिकारियों ने 'नालाम्बलम' में व्हीलचेयर की अनुमति नहीं दी थी, इसलिए उनके पिता और पति को उन्हें दर्शन कराने के लिए उठाकर ले जाना पड़ा.
दिव्यांग भक्त ने व्हीलचेयर के पक्ष में दी ये दलील
शिकायतकर्ता ने आगे कहा कि देवताओं की ऊंची जगह पर प्रतिष्ठित हैं इसलिए जमीन पर बैठकर उन्हें देखना संभव नहीं है. उन्होंने व्हीलचेयर पर बैठकर मंदिर में प्रवेश करने और दर्शन की अनुमति मांगते हुए तर्क दिया कि अगर व्हीलचेयर पर बैन रहेगा तो आराध्य के दर्शन के लिए आने वाले दिव्यांग भक्तों का मनोबल टूटेगा. यह पूजा के उनके अधिकार में भी खलल की तरह है. हाई कोर्ट ने इसी पत्र के आधार पर संबंधित पक्षों से जवाब दाखिल करने को कहा है.