Ban On The Kerala Story: केरल हाईकोर्ट में शुक्रवार (5 मई) को 'द केरल स्टोरी' फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई चल रही है. फिल्म पर रोक लगाने की मांग करने वाले पक्ष की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि इस फिल्म के ट्रेलर में एक समुदाय विशेष को गलत तरीके से दिखाने की कोशिश की गई है, इससे समाज में वैमनस्य फैलेगा.
वकील की इस दलील पर कोर्ट ने दवे से पूछा कि क्या वाकई में इस फिल्म के ट्रेलर में ऐसा कुछ है जिससे माहौल खराब हो सकता है? कोर्ट की ओर से मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा गया कि शुरुआती तौर पर हमको मिली जानकारी के मुताबिक इस फिल्म में ऐसा कुछ आपत्तिजनक नहीं है और वैसे भी इस फिल्म को संबंधित विभागों से हरी झंडी मिल चुकी है.
'ये ऐतिहासिक घटना नहीं, एक कहानी है'
द केरल स्टोरी पर रोक लगाने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि फिलहाल अब तक की जानकारी के मुताबिक यह फिल्म किसी ऐतिहासिक घटना पर नहीं बल्कि एक कहानी है. फिल्म के प्रदर्शन विरोध कर रहे वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि इससे समाज में माहौल खराब हो सकता है यह आईपीसी की धारा 153 ए के तहत मामला बनता है.
इस बीच कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि केरल देश के बाकी राज्यों से इस मामले में अलग है. यहां पर कुछ वक्त पहले एक फिल्म आई थी जहां पर पुजारी एक मूर्ति के ऊपर थूक देता है, लेकिन उसके बावजूद यहां पर माहौल खराब नहीं हुआ. कोर्ट ने कहा कि वहीं एक फिल्म में हिंदू संन्यासियों को स्मगलर के तौर पर दिखाया गया, लेकिन फिर भी हालात खराब नहीं हुए.
फिल्म की रिलीज पर हाईकोर्ट क्यों पहुंचे?
कोर्ट ने कहा कि वैसे भी इस फिल्म का ट्रेलर अभी नहीं रिलीज हुआ. ट्रेलर नवंबर महीने में रिलीज हुआ था, लेकिन आप अब कोर्ट के पास आ रहे हैं जब फिल्म रिलीज हो रही है. दवे ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं कि अगर पूर्व में एक-दो फिल्मों को ऐसा अनुमति दे दी गई है तो हर फिल्म को दे दी जाए. कोर्ट ने इस पर सवाल पूछा कि ...तो क्या इस फिल्म में भर्त्सना की गई है या फिर महिमामंडन किया गया है.
दुष्यंत दवे ने कहा कि कोर्ट को इस फिल्म के ट्रेलर और फिल्म को एक बार देखना चाहिए उसके बाद में ही कोई फैसला लेना चाहिए. फिल्म का विरोध कर रहे वक़ील ने कहा कि शुरूआत में लोगों ने कहना शुरू किया कि 32000 ऐसी लड़कियां हैं, लेकिन बाद में अब बात आ रही है कि सिर्फ तीन ही हैं. कोर्ट ने कहा कि हमें यह नहीं समझ में आ रहा है कि इस फिल्म में इस्लाम के खिलाफ क्या है, क्योंकि हमारी जानकारी में इस फिल्म में isis के खिलाफ दिखाया गया है.
हाई कोर्ट में दिखाया गया फिल्म का ट्रेलर
हाई कोर्ट में फिल्म का ट्रेलर और टीजर दिखाया गया. फिल्म का ट्रेलर देखने के बाद कोर्ट ने पूछा कि आखिर इसमें इस्लाम के खिलाफ किया है इसमें तो आईएसआईएस के बारे में कहा गया है. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह एक काल्पनिक कहानी पर आधारित फिल्म है जिसमें कुछ लोगों को गलत काम करते हुए दिखाया गया है. अगर फिल्म में कुछ लोग सिर्फ एक टोपी पहन के आ रहे हैं तो क्या उनको धर्मगुरु माना जा सकता है?
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से टिप्पणी कर पूछा कि आखिर इस फिल्म के टीजर ट्रेलर में दूसरे धर्म को गलत तरीके से कहां दिखाया गया? याचिकाकर्ता वकील ने कहा कि अगर यह कहा जाए कि मेरा धर्म और भगवान ही अच्छा है तुम्हारा नहीं तो क्या इसको मान्यता मिल सकती है? कोर्ट ने उल्टा सवाल पूछा कि क्या यह कहा जा सकता है कि दुनिया में सिर्फ वही एक मात्र शक्ति है जिसको हम पूजते हैं.
याचिकाकर्ता वकील ने कहा कि अगर ऐसा ही दिखाया गया तो दूसरे धर्म के माता-पिता अपने बच्चों को उस कॉलेज का हॉस्टल में नहीं भेजेंगे जहां मुस्लिम बच्चे रहते हैं. कोर्ट ने कहा कि इस फिल्म में मुस्लिम समाज के बारे में नहीं, बल्कि सिर्फ आईएसआईएस के ऊपर सवाल खड़े किए गए हैं.
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