Kerala High Court Order: केरल हाई कोर्ट ने हाल ही में प्रदेश भर में सरकारी जमीन पर बने अवैध धार्मिक ढांचों को हटाने का आदेश दिया. कोर्ट ने ये आदेश यह देखते हुए दिया कि इस तरह के अवैध तौर पर बने निर्माण कई धार्मिक समुदायों के बीच टकराव पैदा कर सकते हैं.


दरअसल, हाई कोर्ट ने ये फैसला केरल प्लांटेशन कॉरपोरेशन की ओर से दायर याचिका पर सुनाया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कुछ राजनीतिक समूहों ने उसकी संपत्तियों पर अतिक्रमण करने का जानबूझकर प्रयास किया था.


बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, केरल प्लांटेशन कॉरपोरेशन की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस पी.वी. कुन्हिकृष्णन ने राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे जिला कलेक्टरों को यह पता लगाने का निर्देश दें कि क्या किसी धार्मिक समूह ने किसी सरकारी भूमि पर कोई अवैध पत्थर, क्रॉस या अन्य ढाचे बनाए हैं. हालांकि, हाई कोर्ट ने 27 मई के अपने फैसले में आदेश दिया था कि अगर सरकारी भूमि पर कोई अवैध धार्मिक ढ़ांचा है तो जनता भी इसे जिला कलेक्टर के ध्यान में लाने के लिए स्वतंत्र है. 


अवैध धार्मिक ढाचा मिलने पर पुलिस की मदद से DM लें एक्शन


कोर्ट ने ये भी कहा कि कलेक्टर राज्य के मुख्य सचिव से आदेश प्राप्त होने की तारीख से 6 महीने की अवधि के भीतर ऐसी जांच करेंगे. कोर्ट ने आगे कहा कि अगर सरकारी जमीन पर कोई अवैध धार्मिक ढांचा पाया जाता है तो जिला कलेक्टर पुलिस की सहायता से जांच के बाद और प्रभावित पक्षों की सुनवाई के बाद 6 महीने के भीतर उसे हटा देंगे.


केरल हाई कोर्ट ने ये भी कहा कि इससे जुड़े ग्राम अधिकारियों और तहसीलदारों की रिपोर्ट के आधार पर राज्य के जिला कलेक्टरों को सभी अवैध धार्मिक ढांचों को हटाने के लिए एक समय सीमा के भीतर आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि हम सांप्रदायिक सद्भाव के साथ रह सकें और देश को एक 'संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य' के रूप में मजबूत कर सकें, जैसा कि हमारे भारतीय संविधान की प्रस्तावना में लिखा हुआ है.


पुरानी मूर्तियों को हटाने से लॉ एंड आर्डर में हो सकती परेशानी- पुलिस


वहीं, पुलिस ने कोर्ट में कहा कि बागान मजदूरों, जिनमें से ज्यादातर हिंदू समुदाय से हैं. उन्होंने पूजा के लिए छोटी-छोटी मूर्तियां बनाई थीं, क्योंकि उनके पास धार्मिक पूजा करने के लिए आसपास कोई अन्य जगह नहीं थी. पुलिस ने कोर्ट को बताया कि हालांकि, हमने स्थानीय लोगों को जमीन में प्रवेश न करने की चेतावनी दी थी लेकिन, लंबे समय से पूजा की जा रही पुरानी मूर्तियों को हटाने से कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है.


सरकारी भूमि पर किसी भी अवैध धार्मिक ढांचे की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए 


जस्टिस कुन्हिकृष्णन ने स्वीकार किया कि भारत का संविधान सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता देता है. कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के अधीन, प्रत्येक धार्मिक संप्रदाय या किसी भी वर्ग को धार्मिक और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए संस्थाओं की स्थापना और रखरखाव का अधिकार है. हालांकि, कोर्ट ने ये भी कहा कि इसका ये मतलब नहीं कि लोग ऐसा कुछ भी कर सकते हैं जिससे सांप्रदायिक टकराव पैदा हो. क्योंकि, सरकारी भूमि पर अस्थायी धार्मिक संरचनाएं बड़े पैमाने पर अतिक्रमण का कारण बन सकते हैं.


धार्मिक समूहों के अतिक्रमण से टकराव पैदा होगा- HC


हालांकि, इस मामले पर हाई कोर्ट ने साफ किया कि आजकल, सार्वजनिक जगहों और सरकारी भूमि पर कुछ पत्थर या क्रॉस लगाकर उस स्थान को धार्मिक महत्व बताकर उसकी पूजा करना और उसके बाद इन पत्थरों और क्रॉस को धार्मिक रंग से रंगना एक चलन बन गया है. कोर्ट ने कहा कि अगर लोग सार्वजनिक स्थानों और सरकारी भूमि पर अवैध धार्मिक संरचनाओं और इमारतों का निर्माण करना शुरू करते हैं, तो इससे धर्मों के बीच टकराव पैदा हो सकता है.


धार्मिक कामों के लिए नहीं हो सकता सरकारी भूमि का इस्तेमाल


इस मामले में कोर्ट ने स्वीकार किया कि सरकारी जमीन पर अवैध ढांचे थे, जिसे बागान निगम को पट्टे पर दिया गया था. इसने राज्य के इस तर्क को खारिज कर दिया कि इन छोटे मंदिरों को हटाने से कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा होगी. इसमें कोर्ट का कहना है कि इस तरह से राज्य में धार्मिक पूजा की आड़ में अवैध निर्माण हो रहे हैं. चूंकि, केरल एक छोटा राज्य है जिसमें सैकड़ों मंदिर, चर्च और मस्जिद हैं. ऐसे जगहों का इस्तेमाल धार्मिक उद्देश्यों के लिए नहीं किया जा सकता. इससे राज्य में धार्मिक टकराव हो सकते हैं.


अवैध ढांचों को हटाने के लिए 1 साल में रिपोर्ट पेश करे सरकार


इस मामले पर जस्टिस कुन्हिकृष्णन ने कहा कि मेरा मानना है कि सरकारी जमीन पर किसी भी अवैध धार्मिक स्थल की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, चाहे वह हिंदू, ईसाई, मुस्लिम या किसी अन्य धर्म का हो. ऐसे में कोर्ट ने बागान निगम की संपत्तियों पर बने धार्मिक ढांचों सहित सरकारी भूमि पर से सभी अतिक्रमणकारियों को हटाने का निर्देश दिया. कोर्ट ने ये भी कहा कि केरल में सरकारी भूमि पर अवैध धार्मिक ढांचों को हटाने के लिए की गई कार्रवाई पर 1 साल के भीतर रिपोर्ट पेश की जानी चाहिए.


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