केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) ने एक बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) को कथित रूप से यौन उत्पीड़न के पीड़ित एक नाबालिग का संरक्षण उसके माता-पिता को देने का निर्देश दिया. अदालत ने कहा कि बच्चे के माता-पिता का भावनात्मक सहयोग उसे सदमे से उबरने में मदद करेगा. नाबालिग का कथित तौर पर उसकी रिश्ते की बहन ने यौन शोषण किया था.


आपराधिक आयोजन को करता है प्रभावित


हाईकोर्ट ने यह आदेश बच्चे का संरक्षण माता पिता को देने से इनकार संबंधी समिति के फैसले को चुनाती देने वाली उनकी याचिका पर दिया है. समिति ने अपनी दलील में कहा था कि यह मामले के आपराधिक अभियोजन को प्रभावित कर सकता है. कक्षा नौवीं के छात्र 14 वर्षीय लड़के का इस वर्ष फरवरी में रिश्ते की बहन (22) ने यौन उत्पीड़न किया था, जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. घटना के बाद समिति ने दस फरवरी से बच्चे को बाल गृह में रखा हुआ है. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अपराध की शिकायत दर्ज हुई है और पुलिस मामले की जांच कर रही है.


अभिभावकों के भावनात्मक सहारे की जरूरत


अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता का अनुरोध विचारणीय है. अदालत ने कहा कि पीड़ित कक्षा नौवीं में पढ़ने वाला छात्र है और उसे सदमे से उबरने के लिए अभिभावकों के भावनात्मक सहारे की जरूरत है. इसलिए यह न्याय और बच्चे के भविष्य के हित में है कि उसका संरक्षण तत्काल उसके माता पिता को दिया जाए. अदालत ने कहा कि अभी जांच जारी है,ऐसे में उसने माता पिता को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि किसी भी आरोपी को बच्चे से मिलने नहीं दिया जाए.


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