केरल हाईकोर्ट ने कहा सहकारी बैंकों से कहा कि अगर जमाकर्ताओं के अपना पैसा वापस लेने के अनुरोध को स्वीकार करने के लिए प्राधिकारी कदम नहीं उठाते हैं तो इस तरह सहकारी बैंकों पर से लोगों का विश्वास उठ जाएगा.


जस्टिस देवन रामचंद्रन ने कहा कि सहकारी क्षेत्र के बैंकों पर से जनविश्वास उठ जाने से राज्य को बहुत धक्का लगेगा. खासकर तब जब वर्तमान वित्तीय स्थिति उतनी संतोषजनक नहीं है जितनी होनी चाहिए थी.’


केरल हाईकोर्ट ने 13 जून को दिए अपने आदेश में कहा, 'सहकारी बैंकों द्वारा जमा धनराशि की वापसी ठोस वित्तीय परिदृश्य के लिए अनिवार्य है, उसका उल्लंघन होने से निश्चित ही लोगों में बेचैनी होगी और भविष्य में ऐसे बैंकों पर विश्वास करना उनके लिए मुश्किल होगा.'


अदालत ने जमाकर्ताओं की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. जमाकर्ताओं ने राज्य में विभिन्न सहकारी बैंकों में जमा अपनी धनराशि लौटाने की मांग की है.


अदालत ने कार्यवाही के दौरान कहा कि 21 मई की पिछली सुनवाई के बाद से इस मामले में पर्याप्त प्रगति नहीं हुई है क्योंकि किसी भी प्रतिवादी बैंक ने विभिन्न जमाकर्ताओं को अच्छी खासी राशि के भुगतान के बारे में नहीं बताया है.


राज्य सरकार ने कहा कि वह वैधानिक नियमों में संशोधन समेत कई तरीके विकसित कर रही है ताकि जमाकर्ता जब अपनी जमा राशि लौटाने की मांग करे, तो उसका पैसा समय से वापस कर दिया जाए. सरकार ने इन कदमों के बारे में बताने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा.


कुंपलामपोइका सर्विस को-ऑपरेटिव बैंक ने अदालत से कहा कि उसने जमाकर्ताओं का 40 प्रतिशत हिस्सा लौटा दिया है जबकि किझाथाडियूर सर्विस को-ऑपरेटिव बैंक ने दावा किया कि वह पहले ही अपने जमाकर्ताओं को करीब 25 करोड़ रुपये दे चुका है.


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