तिरुवनंतपुरम: केरल के मलप्पुरम में गर्भवती हथिनी की हत्या ने हर किसी को हैरान कर दिया है और देश भर से इसके खिलाफ आक्रोश भी देखा जा रहा है. इस बीच केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने ट्वीट कर लोगों को यह भरोसा दिलाया है कि न्याय जरूर होगा. मुख्यमंत्री ने यह भी जानकारी दी कि तीन संदिग्धों के खिलाफ जांच चल रही है. वन विभाग और पुलिस मिलकर इसकी जांच कर रहे हैं. केरल सरकार को हर कदम उठाएगी जिससे आरोपियों को सख्त सजा मिल सके.


इसके अलावा केरल के मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि इंसानों और जंगली जानवरों के बीच तालमेल बिठाने के लिए भी सरकार बाहर कदम उठाएगी. साथ ही इस पूरे घटना के खिलाफ चल रहे आक्रोश पर मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोग इस बहाने केरल के खिलाफ हेट कैंपेन चला रहे हैं.






आपको बता दें कि केरल में इस तरह की क्रूर हत्या का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले अप्रैल महीने में भी इसी तरह का एक और मामला कोल्लम से सामने आया. जहां बिल्कुल इसी तरह से एक हथिनी को मौत के घाट उतार दिया गया. पथनापुरम जंगल में हथिनी इसी तरह गंभीर अवस्थाएं मिली जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी. जहां जबड़ा टूटा हुआ था और साथ ही कई गहरे घाव भी थे.


हाथी का इमोशन तस्वीरों से ही लगा सकते हैं कि किस तरह से दूसरे हाथी मृत हथिनी को सहला रहे हैं. हाथी अक्सर झुंड में रहते हैं. बच्चे को जन्म देने के बाद या उस दौरान भी सिर्फ हथिनियों का झुंड एक साथ रहता है. जिसमें मादा हाथियों के परिजनों का झुंड एक साथ घूमता है. पुरुष हाथी कहीं और निकाल जाते हैं.


इतना ही नहीं किसी हाथी के मौत के दौरान भी हाथी/हथिनी एक साथ झुंड में शोक मानते हैं और एक दूसरे को दिलासा देते हैं. इसी दौरान जब दो हाथियों को रेस्क्यू कर बॉडी को बाहर निकालने के लिए लाया गया तब हाथी अपना इमोशन नहीं रोक पाए और सूंड के जरिए उन्हें सहलाते दिखाई दिए.


दरअसल जंगली सूअर या कई ऐसे जानवर खेतों को आकर नष्ट कर देते हैं उनके खिलाफ लोग ऐसे जाल बनाते हैं जिससे कि उन्हें मार दिया जाए. केरल में अक्सर फलों में इस तरह से विस्फोटक लगाकर इन जानवरों को मौत के घाट उतार दिया जाता है जिससे कि वह खेत की फसल बर्बाद ना करें. यहां तक कि हाथी भी खाने की खोज में इन खेतों तक पहुंचते हैं ऐसे में हाथियों को भी इसी तरह से मार दिया जाता है. कई बार इस जाल में अन्य जंगली जानवर भी इसके शिकार हो जाते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले आठ साल में 24 बाघ और 110 चीतें इस तरह के जाल के शिकार हुए हैं और मारे गए हैं.


इसके लिए अक्सर फलों में भारी बम जैसे विस्फोटक का इस्तेमाल किया जाता है जिसे खा कर जानवर मर जाते हैं. केरल में अक्सर टेंपल फेस्टिवल के दौरान बड़े बड़े विस्फोटक पटाखे बनाए जाते हैं. ऐसे में ऐसी फैक्टरी बड़े विस्फोटक बनाती रही है. 2016 का परावूर फायर ऐक्सिडेंट इसी का नतीजा था जिसमें 115 लोगों ने जान गवाई थी. इन्हीं विस्फोटकों को किसान जंगली जानवरों को मारने के लिए इस्तेमाल करते हैं. जंगली सूअर पर इसका इस्तेमाल ज्यादा करते हैं. केरल में जानवरों को मारने पर अक्सर 25000 फाइन लेकर छोड़ दिया जाता है. वो भी मामला अगर सामने आए. ऐसे में सख़्त कानून की ज़रूरत है.


ऐसे में अब केरल कि सरकार जागी है इतने आक्रोश के बाद और अब आरोपियों को पकड़ने की कोशिश जारी है. इस बीच अलग अलग जगहों से आरोपियों पर इनाम घोषित किए जा रहे हैं. कई एनजीओ ने 1 लाख तो वहीं, हैदराबाद में एक शख्स ने 2 लाख का ईनाम घोषित किया है. लेकिन सवाल अब भी यही है कि इस आक्रोश के बाद सरकार जागी तो है, लेकिन ऐसे मामले कई बार सामने आए अगर सरकार सख्त नियम बनाती तो शायद ऐसा अमानवीय अपराध करने से पहले आरोपी कई बार सोचते.


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