Citizenship Amendment Act: देश में नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए लागू हो चुका है. इसे लेकर तमाम तरह की बातें की जा रही हैं. केंद्र सरकार की तरफ से भी कहा गया है कि इस कानून के जरिए किसी की नागरिकता नहीं जाएगी, बल्कि ये दूसरे देशों से आए शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए लाया गया है. हालांकि, इसके बाद भी लोगों में मन में आशंकाएं हैं. ऐसा ही कुछ केरल के कोच्चि शहर में रहने वाले मुस्लिमों के भीतर भी देखने को मिला.  


एबीपी न्यूज की टीम सीएए पर लोगों की राय जानने के लिए कोच्चि पहुंची. यहां पर शहर के मुस्लिमों से सरकार की तरफ से लागू किए गए कानून पर उनकी राय जानी गई. कुछ लोगों ने कहा कि सरकार की तरफ से अगर कानून बनाया ही गया था, तो इसमें मुस्लिमों को भी शामिल करना चाहिए था. सरकार के आश्वासन के बाद भी लोगों के बीच डर देखने को मिला. एक शख्स ने यहां तक कह दिया कि क्या पता सरकार हम सभी लोगों को कल को पाकिस्तान भेज दे. 


'सरकार कहीं हमसे पाकिस्तान जाने को न बोले'


एबीपी न्यूज के संवाददाता रविकांत कोच्चि के नगरापल्ली इलाके में गए और वहां लोगों से सीएए को लेकर सवाल किया. उन्होंने वहां मौजूद एक शख्स से पूछा कि सीएए को लेकर आपकी क्या राय है? इस पर शख्स ने जवाब दिया, 'बाहर से आने वाले हिंदुओं को यहां आने दिया जाएगा. हमें डर है कि कहीं हमारा आईडी कार्ड न मांगा जाए और फिर उसके जरिए हमें अलग कर दिया जाए. हमें डर है कि कहीं सरकार हमें बोले कि पाकिस्तान चले जाओ.'



'मुस्लिमों को भी मिले सीएए में जगह'


इस शख्स ने आगे कहा, 'मुस्लिमों को भी इसमें जगह देनी चाहिए थी. हम लोग भी इस देश के रहने वाले हैं.' इस पर जब रविकांत ने कहा कि सरकार ने कहा है कि तीन देशों (पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान) से मुस्लिमों को नहीं भगाया जाएगा, इसलिए उन्हें सीएए से बाहर रखा गया है. इस पर एक अन्य शख्स ने कहा, 'मुस्लिमों का नाम होना चाहिए था. उन्होंने सवाल किया कि जब हर किसी को शामिल किया गया है, तो मुस्लिमों को भी शामिल करना चाहिए था.'


कानून के खिलाफ खड़े दिखे लोग


सीएए पर बात करते हुए एक शख्स ने कहा, 'हमारे लिए सबसे ज्यादा डर की बात एनआरसी है. असम में रहने वाले लोगों को कहा गया कि आपका नाम एनआरसी लिस्ट में नहीं है इसलिए आपको बाहर जाना होगा.' उन्होंने कहा, 'हम लोग इस कानून के खिलाफ हैं. सरकार हमारे साथ अच्छा नहीं कर रही है. हर किसी के लिए एक समान व्यवस्था होनी चाहिए थी.' इस तरह सरकार के आश्वासन के बाद भी मुस्लिम समाज के भीतर भय का माहौल देखने को मिला है. 


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