नई दिल्ली: केरल के कथित लव जिहाद मामले की सुनवाई आज सुप्रीम कोर्ट में हुई. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हदिया के कथित पति शफीन की तरफ से पेश हुए वकील दुष्यंत दवे की बेतुकी दलीलों से नाराज़ होकर सुनवाई 30 अक्टूबर के लिए टाल दी है.

दवे ने एनआईए को कह दिया सरकारी नौकर

दुष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह तक का नाम लेना शुरू कर दिया था. उन्होंने कहा कि लव जिहाद का मुद्दा इन लोगों का एजेंडा है. जजों ने बार-बार दवे से कानूनी पहलुओं पर सीमित रहने का आग्रह किया, लेकिन दवे ऊंची आवाज़ में बोलते रहे. उन्होंने एनआईए को भी सरकारी नौकर कह दिया.

दवे के इन तेवरों पर कड़ी नाराज़गी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये भाषण देने की जगह नहीं है. हम आज आपकी बातें नहीं सुनेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से एक बार फिर इस कानूनी सवाल का जवाब देने को कहा कि हाई कोर्ट किसी बालिग महिला की मर्ज़ी से हुई शादी को रद्द कर उसे पिता के पास वापस कैसे भेज सकता है?

क्या है पूरा मामला?

केरल के वाइकोम की रहने वाली अखिला तमिलनाडू के सलेम में होम्योपैथी की पढ़ाई कर रही थी. उसके पिता के एम अशोकन का आरोप है कि हॉस्टल में उसके साथ रहने वाली 2 मुस्लिम लड़कियों ने उसे धर्म परिवर्तन के लिए उकसाया. अखिला ने इस्लाम कबूल कर अपना नाम हदिया रख लिया और जनवरी 2016 में वो अपने परिवार से अलग हो गई.

दिसंबर 2016 में अशोकन ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. उन्होंने दावा किया था कि उनकी बेटी गलत हाथों में पड़ गई है. उसे आईएस का सदस्य बना कर सीरिया भेजा जा सकता है. उन्होंने बेटी को अपने पास वापस भेजने की मांग की थी.

इल मामले में हाईकोर्ट ने पाया कि अशोकन की याचिका के बाद जल्दबाज़ी में शादी करवाई गई है. हदिया को अपने पति के बारे में ठीक से जानकारी भी नहीं थी. हाई कोर्ट ने NIA की एक रिपोर्ट पर भी गौर किया. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि केरल में कट्टरपंथी समूह लोगों के धर्म परिवर्तन की कोशिश में लगे हैं. साथ ही वो ताज़ा मुसलमान बने लोगों को जिहाद के नाम पर अफगानिस्तान और सीरिया भी भेज रहे हैं.

हाई कोर्ट ने शादी को अवैध मान लड़की को भेज दिया था पिता के पास

इस साल 25 मई को हाई कोर्ट ने निकाह को अवैध घोषित करते हुए रद्द कर दिया. जजों ने अपने आदेश में लिखा है कि अगर कोई सोचने-समझने की स्थिति में न हो तो उसके अभिभावक की भूमिका निभाना हमारी कानूनी ज़िम्मेदारी है. इसी के तहत हम लड़की को उसके पिता के पास वापस भेज रहे हैं.