सबरीमाला में श्रद्धालुओं की तादाद बढ़ी, राजस्व पहुंचा 100 करोड़ रुपये
प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में जहां सबकुछ शांत है और श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा हुआ है. पूजा के दौरान भक्तों के चढ़ावे से मंदिर का राजस्व 100 करोड़ पहुंच गया है.
सबरीमाला: केरल के सबरीमाला मंदिर के खुलते ही पूजा के लिए भक्तों का तांता लग गया है. इस त्योहारी सत्र में मंदिर के खुलने के 27वें दिन इसके राजस्व ने 100 करोड़ रुपये का आंकड़ा छू लिया है. पिछले वर्ष यह आंकड़ा 60 करोड़ रुपये था. मंदिर के अधिकारियों ने यह जानकारी दी. सबरीमाला मंदिर में दो महीने लंबा श्रद्धालुओं के सत्र की शुरुआत 17 नवंबर को हुई थी.41 दिनों तक चलने वाले सालाना मंडाला मकरविलाक्कू पूजा के लिए मंदिर खुला है.
राजस्व की प्राप्ति प्रसाद के रूप में 'अप्पम' या 'अरावन(पायसम)' की बिक्री और इसे चढ़ाने से हुई है, जिसे श्रद्धालुओं ने नकद या सिक्के के जरिए खरीदा है.
सबरीमाला मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में रिव्यू पिटिशन दाखिल की गई है जिसके तहत मांग की गई है कि कोर्ट अपने दिए गए फैसले पर पुनर्विचार करे. कोर्ट ने अपने फैसले में महिलाओं को सबरीमाला में एंट्री की इजाज़त दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 28 सितंबर को सबरीमाला पर फैसला दिया था जिसके तहत 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं पर सबरीमाला मंदिर में जाकर पूजा करने पर लगे बैन को हटा दिया गया था. कोर्ट का ये आब्जर्वेशन भी था कि धार्मिक समूहों के पूजा के अधिकार के सामने एक इंडिविजुअल के पूजा करने के अधिकार को नकारा नहीं जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद महिलाओं को मंदिर में नहीं घुसने दिया गया था. 10 से 50 साल की महिलाओं ने जब पिछले साल मंदिर में प्रवेश करने के कोशिश की थी तो भक्तों के विरोध का सामना करना पड़ा था. विरोध करने वाले समूहों में से एक भगवान अयप्पा के भक्त थे जिन्होंने महिलाओं को मंदिर के बाहर ही रोक दिया था.
मंदिर परंपराओं के अनुसार, 10 से 50 वर्ष की आयु समूह की महिलाओं को मंदिर में जाने की इजाजत नहीं है.
इस बार हालांकि पिनराई विजयन नीत लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट(एलडीएफ) सरकार ने स्पष्ट रूप से कह दिया था कि इस सत्र में वे प्रतिबंधित आयु समूह की किसी महिला के मंदिर में प्रवेश को लेकर कोई प्रयास नहीं करेंगे.
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