नई दिल्ली: पीएफआई संगठन के मुखिया अब्दुल सलाम को केरल सरकार ने विजिलेंस जांच के बाद सेवा से निलंबित कर दिया .केरल सरकार की विजिलेंस जांच में सलाम पर अनेक आरोप आरंभिक तौर पर सही पाए गए थे. लेकिन केंद्र सरकार पीएफआई पर बड़े एक्शन को लेकर अभी भी खामोश है मसलन पीएफआई को अभी भी आयकर विभाग से उससे मिलने वाले डोनेशन पर छूट मिली हुई है.


सबसे पहले इस खबर का खुलासा एबीपी न्यूज़ में इसी साल 8 अक्टूबर को किया था और बताया था कि पीएफआई का नेशनल चेयरमैन केरल राज्य विद्युत बोर्ड का सरकारी कर्मचारी है . जबकि इस संगठन पर केरल समेत अनेक राज्यों में दंगा भड़काने और विदेशों से फंडिंग लेने का आरोप है. एबीपी न्यूज़ ने 8 अक्टूबर को अपनी खबर में खुलासा किया था कि पीएफआई के नेशनल चेयरमैन अब्दुल सलाम लंबे समय से केरल राज्य विद्युत बोर्ड में वरिष्ठ सहायक के पद पर तैनात हैं. दिलचस्प यह है कि इसी साल फरवरी महीने में उन्हें पीएफआई का चेयरमैन भी बना दिया गया. हालांकि इसके पहले भी वो पीएफआई की गतिविधियों के साथ जुड़े हुए थे.


यह भी आरोप था कि तमाम नियम कानूनों को ताक पर रखकर अब्दुल कलाम ने सरकारी विभाग की अनुमति लिए बिना कई बार विदेशों की यात्रा की. यह भी आरोप था कि अब्दुल सलाम के चेयरमैन पद पर आ जाने के बावजूद किसी भी सरकार ने कोई संज्ञान नहीं लिया. जिस संगठन पर तमाम बड़े आरोप लग रहे हैं उस संगठन का मुखिया सरकारी तनखा उठा रहा है .


एबीपी न्यूज़ के खुलासे के बाद केरल सरकार हरकत में आई और अब्दुल कलाम के खिलाफ विजिलेंस जांच बिठा दी गई .सूत्रों के मुताबिक विजिलेंस जांच 5 दिसंबर 2020 को पूरी हुई और इस जांच के तहत अब्दुल सलाम से भी विजिलेंस अधिकारियों ने लंबी पूछताछ की. अधिकारियों ने केरल सरकार को भेजी अपनी रिपोर्ट में कहा अब्दुल सलाम एक ऐसे संगठन के राष्ट्रीय मुखिया हैं जिस संगठन पर तमाम जगहों से फंडिंग लेने आरोप लगे हैं .साथ ही इस संगठन पर कई जांच एजेंसियों की जांच भी चल रही है. विजिलेंस अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जांच के दौरान पाया गया कि अब्दुल सलाम अनेकों बार बिना इजाजत विदेश यात्रा पर भी गए थे. यानी उन तमाम तथ्यों को जिन्हें एबीपी न्यूज़ ने अपनी खबर में खुलासा किया था उन तथ्यों पर केवल सरकार के विजिलेंस विभाग ने भी अपनी मोहर लगा दी थी .


सूत्रों के मुताबिक इसके बाद 14 दिसंबर 2020 को केरल सरकार के राज्य विद्युत विभाग ने अब्दुल सलाम को सेवा से निलंबित कर दिया. यह बात तो हुई केरल सरकार की लेकिन इस मामले में अहम तथ्य यह भी है कि केरल सरकार ने तो विजिलेंस जांच के बाद अब्दुल सलाम को निलंबित कर दिया लेकिन पीएफआई संगठन के मामले में केंद्र सरकार आखिर क्या कर रही है ?अभी तक पीएफआई संगठन को मिलने वाले डोनेशन की आयकर विभाग से छूट मिली हुई है यानी यदि कोई पीएफआई को चंदा दे रहा है तो उसे आयकर विभाग से छूट प्राप्त होगी.


एक तरफ तो केंद्र सरकार और राज्य सरकारें पीएफआई पर दंगों में शामिल रहने और दंगों के लिए फंडिंग करने का आरोप लगा रही है वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार से पीएफआई को आयकर विभाग से छूट मिली है जो अपने आप में केंद्र सरकार के रवैए पर बड़े सवाल खड़े करता है. एक अहम बात यह भी है कि अनेक राज्यों ने केंद्र सरकार से पीएफआई पर बैन लगाने की मांग भी की हुई है लेकिन केंद्र सरकार इस पूरे मामले में मूक दर्शक की तरह भूमिका निभा रही है.