मथुरा: केरल के कोझिकोड में शुक्रवार शाम दुबई से आ रहा एयर इंडिया एक्सप्रेस का विमान रनवे पर लैंड करते समय दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें पायलट दीपक साठे और को-पायलट अखिलेश कुमार समेत 18 लोगों की मौत हो गई, लेकिन पायलट्स की सूझबूझ के कारण और ज्यादा बड़ा हादसा होने से टल गया. मथुरा के रहने वाले को-पायलट अखिलेश कुमार का पार्थिव शरीर आज सुबह उनके घर पहुंचा, जहां सुबह 7 बजे उनका अंतिम संस्कार किया गया. शनिवार को अखिलेश के जन्मभूमि लिंक रोड, मथुरा स्थित घर में जब यह सूचना मिली तो जैसे परिवार के पैरों तले ज़मीन खिसक गई.


अखिलेश कुमार के पिता तुलसीदास शर्मा एबीपी न्यूज़ से बातचीत में सरकार से अपील करते हुए कहा, "मेरे बेटे ने राष्ट्र के लिए काम किया है और उसे शहीद का दर्जा देना चाहिए. अखिलेश ने जाने से पहले मां से बात की थी और वो बोला था कि आठ बजे तक पहुंच जाऊंगा. वो 21 अगस्त से 15 दिनों की छुट्टी पर आने वाला था, उसके बच्चे की डिलीवरी होने वाली है. मेरे तीन बच्चे हैं और अखिलेश तीनों में सबसे होनहार था. मैंने अपनी ज़मीन बेच कर इसे पायलट की पढ़ाई करवाई थी और वो 2017 में ही को-पायलट बना था."


पिता तुलसीदास शर्मा ने कहा कि हमारा पूरा परिवार उस पर निर्भर करता था, अब उसके बच्चे का पालन पोषण हो जाए बस अब यही चाहते हैं. अखिलेश की पत्नी मेघा, जिन्हें परिवार द्वारा बीते दिन तक अपने पति के निधन की जानकारी नहीं दी गई थी, अब उन्हें मृत्यु की खबर पार्थिव शरीर घर आने के बाद मिली. एबीपी न्यूज से एक्सक्लूसिव बातचीत में मेघा बताती हैं कि इतने लोगों की जान बचाने के लिए उनके पति ने अपनी जान गंवा दी, उन्हें सम्मान मिलना चाहिए. पूरी दुनिया उन्हें सम्मान देगी.

मेघा ने कहा, "मुझे छोड़ गए, लोगों की जान बचाने के लिए. मुझे कहते थे मैं पायलट हूं, सबसे पहले लोगों की जान बचाना चाहूंगा. पहले इंजन को बंद कर दिया, जिससे आग ना लग जाए. फोन ऑन कर लिया था, घंटी जा रही थी, उठा नहीं पाए. लोगों की जान बचाने की सोची बस. अपने बच्चों को भी नहीं देख पाए. मुझे उनपर बहुत गर्व है. जाने से पहले थोड़ी बात हुई थी. उन्होंने कहा था मैं जा रहा हूं, मेरी कैब आ गई है. मैंने बोला था टेक केयर, हैप्पी लैंडिंग. मैंने हैप्पी लैंडिंग बोला फिर भी ऐसा हो गया."


दिवंगत को-पायलट अखिलेश कुमार की बहन मनीषा कहती हैं कि हमारे घर ना कोई पुलिस वाला आया, ना डीएम, ना, विधायक ना कोई मंत्री. मेरे भाई को घर पर सम्मान मिलना चाहिए था. पहली वंदे भारत की फ्लाइट मेरा भाई लाया था. किसी को संवेदना देने तो आना चाहिए था. भाभी बेसुध हैं, बार बार बोल रही हैं वो आएंगे. मनीषा परिवार के भविष्य को लेकर बहुत चिंतित हैं और सरकार से सवाल पूछती हैं कि आखिर अब उनका घर कैसे चलेगा." मेरे दो छोटे भाई हैं उनको नौकरी मिलनी चाहिए, लेकिन अब पायलट की नौकरी नहीं चाहिए."


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