PFI: 'कई बार खामोश रहना ज्यादा बेहतर', 12 साल पहले PFI मेंबर्स ने काट दिए थे प्रोफेसर के हाथ, आज भी हरे हैं जख्म
Kerala: 2010 में पीएफआई (PFI) की बर्बरता का शिकार हुए टीजे जोसेफ (TJ Joseph) का दाहिना हाथ काट दिया गया था, जब वह अपनी मां और बहन के साथ चर्च से घर लौट रहे थे.
PFI Chopped Off Professor Hands: पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर जब से एनआईए (NIA) ने शिंकजा कसा है तब से कई बड़े खुलासे हो चुके हैं. इससे जुड़ा एक और मामला सामने आया है. पीएफआई के कार्यकर्ताओं ने केरल में थोडुपुझा के न्यूमैन कॉलेज में 12 साल पहले एक प्रोफेसर टीजे जोसेफ का हाथ काट दिया था. हालांकि, उन्होंने इस मामले में प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि 'हमेशा बोलने के बजाय कभी-कभी मौन रहना बेहतर होता है'.
2010 में पीएफआई की बर्बरता का शिकार हुए जोसेफ का दाहिना हाथ काट दिया, जब वह अपनी मां और बहन के साथ चर्च से घर लौट रहे थे. हमलावरों ने उसे बताया कि उसे एक परीक्षा में पूछे गए सवालों में से एक के कथित बेअदबी लहजे के लिए दंडित किया जा रहा है. इस मामले की जांच एनआईए ने की थी और 2015 में एक विशेष एनआईए अदालत ने इसमें 13 लोगों को दोषी ठहराया था.
'PFI के शिकार हुए कई लोग नहीं हैं जीवित'
टीजे जोसेफ ने कहा 'मैं कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा हूं. पीएफआई के हमलों के शिकार हुए कई लोग अब जीवित नहीं हैं. मैं उन पीड़ितों के साथ एकजुटता के साथ मौन रहना चाहता हूं'. प्रोफेसर टीजे जोसेफ का 12 साल पहले कथित ईशनिंदा के लिए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के कार्यकर्ताओं द्वारा हाथ काट दिया गया था. उन्होंने कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पर केंद्र के प्रतिबंध का जवाब देने से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि मौन रहना हमेशा बात करने से बेहतर होता है.
'कभी-कभी चुप रहना बेहतर'
उन्होंने कहा कि पीएफआई पर प्रतिबंध एक राजनीतिक फैसला है और यह राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित है और राजनीतिक नेताओं, संगठनात्मक प्रतिनिधियों और ऐसे अन्य तटस्थ लोगों को इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देने दें. जोसफ ने कहा कि कभी-कभी चुप रहना हमेशा बात करने से बेहतर होता है. उन्होंने कहा कि उन्हें लगा कि इस समय प्रतिक्रिया न करना बेहतर है.
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