केरल में बकरीद के मौके पर दी गई दुकानें खोलने की छूट को सुप्रीम कोर्ट ने अफसोसजनक बताया है. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार ने इस मामले में दबाव में काम किया है. कोर्ट ने राज्य सरकार की अधिसूचना पर अपनी तरफ से रोक नहीं लगाई. लेकिन कहा कि राज्य सरकार कांवड़ यात्रा मामले में दिए गए उसके निर्देशों का पालन करें.


कांवड़ मामले में कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा था कि वह जीवन के अधिकार को धार्मिक भावना से ज़्यादा महत्व दें. इसके बाद यूपी सरकार ने कांवड़ यात्रा को दी गई अनुमति रद्द कर दी थी.


सुप्रीम कोर्ट ने कल केरल सरकार से बकरीद के मौके पर बाजारों को खोलने की 3 दिन की छूट पर जवाब मांगा था. 18, 19 और 20 जुलाई के लिए दी गई इस छूट का आज आखिरी दिन था. राज्य के मुख्य सचिव की तरफ से दाखिल जवाब में इस छूट का बचाव किया गया. हलफनामें में कहा गया कि लॉकडाउन हमेशा जारी नहीं रह सकता. मंदी झेल रहे व्यापारियों को राहत देने के लिए यह छूट दी गई है.


'सरकार शासन चलाने के योग्य नहीं'


इस हलफनामे का आज याचिकाकर्ता पी के नाम्बियार के वकील विकास सिंह ने कड़ा विरोध कीया. उन्होंने कहा, "10 प्रतिशत से अधिक कोरोना पॉजिटिविटी रेट वाले राज्य का इस तरह का जवाब बिल्कुल गलत है. राज्य सरकार यह भी कह रही है कि उस पर व्यापारियों का दबाव था. व्यापारी संगठन कह रहे थे कि वह लॉकडाउन को नहीं मानेंगे. हर हाल में दुकान खोलेंगे. अगर सरकार इस तरह के दबाव में फैसले लेती है तो फिर वह शासन चलाने योग्य ही नहीं हैं."


केरल के जवाब से कोर्ट असंतुष्ट


केरल के लिए पेश वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने कहा कि राज्य में 15 जून से ही दफ्तर और दुकानें खुलने लगी थीं. परिस्थितियों के आकलन के आधार पर धीरे-धीरे छूट बढ़ाई जा रही है लेकिन सुप्रीम कोर्ट इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ. 2 जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस रोहिंटन नरीमन ने कहा, "आप ने इलाकों की 4 श्रेणी बनाई है. A श्रेणी को जो छूट दी गई है. वही अचानक D श्रेणी तक को दे दी गई. जबकि यह वह इलाके हैं, जिनमें 15 प्रतिशत से अधिक कोरोना संक्रमण दर है."


राज्य सरकार से फैसला लेने को कहा


इसके बाद कोर्ट ने आदेश लिखवाते हुए कहा, "यह अफसोस की बात है कि राज्य सरकार व्यापारी संगठनों के दबाव में आ गई. उसने इस बात को आंख बंद कर मान लिया कि दुकानदार कोविड प्रोटोकॉल का पालन करवाएंगे. राज्य सरकार को लोगों के जीवन के अधिकार को महत्व देना चाहिए था. हम अपनी तरफ से छूट की अधिसूचना रद्द नहीं कर रहे. केरल सरकार खुद कांवड़ यात्रा में दिए हमारे निर्देश का पालन करे. अगर इस छूट के चलते भविष्य में कोरोना के मामले बढ़ते हैं, तो कोई भी दोबारा हमारा दरवाजा खटखटा सकता है.


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