देश में पढ़ाई में नंबर वन, और अब हाईटेक कक्षाओं वाला पहला राज्य भी बना केरल
केरल ने अब सभी सरकारी स्कूलों को भी पूरी तरह डिजिटल बनाने का ऐलान कर दिया है. इसके साथ ही राज्य सरकार ने दावा किया है कि 16 हजार सेकेंडरी और प्राइमरी स्कूल अब हाईटेक क्लासरूम और लैब से सुसज्जित होंगे.
शिक्षा के मामले में देश के टॉप राज्यों में शामिल केरल के नाम एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है. पढ़ाई के मामले में सबसे आगे रहने वाले राज्य केरल ने अब सभी सरकारी स्कूलों को भी पूरी तरह डिजिटल बनाने का ऐलान कर दिया है. इसके साथ ही राज्य सरकार ने दावा किया है कि, 16 हजार सेकेंडरी और प्राइमरी स्कूलों अब हाईटेक क्लासरूम और लैब से सुसज्जित होंगे. इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए सरकार ने 595 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. बता दें केरल राज्य में किए गए इस प्रयोग के कई मायने हैं और इससे आने वाले समय में बच्चों को काफी फायदा भी होगा.
डिजिटल युग का है जमाना
अब वो वक्त गया जब बच्चे स्लेट या पेंसिल लेकर पढ़ाई किया करते थे. आज का दौर पूरी तरह डिजिटल युग हो चुका है. इसी कारण पढ़ाई करने के तौर-तरीके भी काफी बदल चुके हैं. अब स्मार्ट क्लास का जमाना है. ब्लैकबोर्ड भी बीते जमाने की बात हो चुकी हैं. अब बच्चे ऑडियो-वीडियो कंप्यूटर, वेबकैम, प्रोजेक्टर जैसी तकीनीक के माध्यम से पढाई कर रहे हैं. वहीं कोरोना संकट कॉल में जब लॉकडाउन हुआ और स्कूल-कॉलेज भी बंद हो गए तो बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूलों ने ऑनलाइऩ क्लासेज की व्यवस्था कर दी और अब तो बच्चे वर्चुअल या ऑनलाइन क्लासेज से ही पूरा कोर्स सीख रहे हैं. ऐसे में केरल की सरकार ने सभी सरकारी स्कूलों को डिजिटल बनाए जाने का जो कदम उठाया है वह आने वाले वक्त में देश के कई अन्य राज्यों द्वारा भी लागू किया जा सकता है.
स्कूलों को मिले 3 लाख से ज्यादा डिजिटल उपकरण
गौरतलब है कि केरल की पी विजयन की सरकार ने स्कूलों में डिजिटल शिक्षा के लिए राज्य के 4,752 सेकेंडरी स्कूलों के 45 हजार क्लासरूम को अप्रग्रेड कर डिजिटल बनाया है. इसी प्रकार राज्य से 11,275 प्राइमरी स्कूलों में भी अत्याधुनिक लैब की सुविधा मुहैया कराई है. वहीं इस संबंध में राज्य के मुख्यमंत्री का कहना है कि, सरकार की योजना के तहत स्कूलों को लैपटॉप, प्रोजेक्टर, वेबकैम और प्रिंटर के साथ तीन लाख से ज्यादा डिजिटल उपकरण की सुविधा दी गई है. इसके साथ ही स्कूलों में स्टूडियों का निर्माण भी कराया गया है. राज्य सरकार के अनुसार, इस बात का पूरा ख्याल रखा जा रहा है कि सभी प्राइमरी और सेकेंडरी स्कूलों में कम से कम एक स्मार्ट क्लास और कंप्यूटर लैब जरूर हो.
जनता के सहयोग से 595 करोड़ में पूरी हुई योजना
मुख्यमंत्री विजयन ने यह जानकारी भी दी कि इस योजना पर पहले अनुमान लगाया था कि 793.5 करोड़ रुपये का खर्चा हो सकता है लेकिन स्थानीय निकायों और समाज के हर क्षेत्र के लोगों ने पूरा सहयोग किया. जिसकी बदौलत इस प्रोजेक्ट को 595 करोड़ में पूरी समाप्त कर लिया गया. मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि जनता की और से इस योजना के लिए 1,365 करोड़ का योगदान मिला. इसके साथ ही केरल इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्नॉलजी फॉर एजुकेशन ने भी लैपटॉप में फ्री सॉफ्टवेयर डालने का सहयोग कर तकरीबन राज्य सरकार के 3 हजार करोड़ रुपयों की बचत करा दी.
कब शुरू हुई थी योजना
बता दे कि राज्य सरकार ने इस महत्वकांक्षी योजना की शुरुआत 21 जनवरी 2018 में की थी. इसके तहत राज्य के 16,027 स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम के लिए 3.74 लाख डिजिटल उपकरण दिए गए. पहले चरण के दौरान राज्य के हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूल के 8वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए 45 हजार हाईटेक क्लासरूम तैयार करवाए गए. इसके साथ ही कक्षा एक से सातवीं तक के विद्यार्थियों के लिए 11,275 प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में हाई टेक लैब तैयार करवाए गए.
राज्य को प्राथमिक शिक्षा में 100 फीसदी साक्षरता हासिल
इसमे कोई दो राय नही ह कि केरल राज्य शिक्षा के मामले में हमेशा अग्रणी रहा है. और अब यह राज्य देश का पहला ऐसा राज्य बन चुका है जहां प्राथमिक शिक्षा में 100 फीसदी साक्षरता हासिल है. साल 2011 की जनगणना बताती है कि केरल राज्य में कुल 93.91 फीसदी लोग साक्षर हैं. गौरतलब है कि राज्य के ज्यादातर स्कूलों और कॉलेजों का संचालन राज्य सरकार ही करती है. ये भी पढ़ें