मुंबई: एक तरफ जहां देश में किसान आंदोलन चल रहा है वहीं दूसरी तरफ जांच एजेंसियां ने भी अपनी नज़र इस आंदोलन की हर हलचल पर बना रखी है.एजेंसियों का मानना है कि खालिस्तानी विचारधारा के समर्थक कहीं न कहीं इस आंदोलन की आड़ में अपनी विचारधारा का प्रचार सोशल मीडया पर तेज़ी से कर रहे हैं.


खालिस्तान समर्थित सोशल मीडिया अकाउंट्स पर सुरक्षा एजेंसियों की नजर
हाल ही में महाराष्ट्र की साइबर सेल ने पाया कि रेडिकल विचारधारा के लोग पिछले कई दिनों से खालिस्तान और आतंकी जनरैल सिंह भिंडरावाले से जुड़ी पोस्ट सोशल मीडिया पर ट्रेंड कराने की कोशिश कर रहे हैं. महाराष्ट्र साइबर सेल की मानें तो पिछले 16 दिनों से उन्होंने 12,800 पोस्ट ऐसे पाए हैं जिनमें खालिस्तान का ज़िक्र है, जबकि 6,321 पोस्ट ऐसे हैं जिनमे आतंकी जनरैल सिंग भिंडरावाले का ज़िक्र किया गया है.


ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा और भारत से चलाये जा रहे हैं ज्यादातक अकाउंट्स
जांच में ये भी पता चला है की ये पोस्ट जिन अकाउंट्स का इस्तेमाल कर किये जा रहे हैं उनमें से कई एकाउंट्स नवंबर या तो दिसंबर में बनाये गए हैं, तो कुछ ऐसे भी अकाउंट्स हैं जिसका इस्तेमाल कई सालों से नहीं किया गया पर अचानक से वह सारे अकाउंट एक्टिव हो गए हैं. महाराष्ट्र पुलिस दल के एक बड़े अधिकारी ने बताया ये पोस्ट जिन सोशल मीडिया अकाउंट्स का इस्तेमाल कर किये जा रहे हैं उनमें से ज्यादा तर अकाउंट्स ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा और भारत से चलाये जा रहे हैं.



साइबर एक्सपर्ट हैं अकाउंट को चलाने वाले
पुलिस के मुताबिक उन्हें ये पता चला है कि इन पोस्ट के माध्यम से झूठ को फैलाया जा रहा है और खालिस्तानी विचारधारा का प्रचार प्रसार भारतीय सायबर स्पेस में फैलाने की कोशिश की जा रही है. पुलिस ने इन अकाउंट्स विश्लेषण किया जिसमें में ये भी पता चला है की इनके पीछे काम कर रहे लोग साइबर एक्सपर्ट हैं और बोट का इस्तेमाल कर रहे हैं. इतना ही नहीं ऐसे लोग अपनी पहचान छुपाने के लिये अलग अलग देशों के आईपी एड्रेस का इस्तेमाल कर रहे हैं.


पिछले सप्ताह दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने खलिस्तानी कश्मीरी को उनके किसी भी तरह के आतंकी घटना को अंजाम देने से पहले गिरफ्तार किया था.


हालही में नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) ने गुरपतवंत सिंह पन्नू के साथ और 15 लोगों के खिलाफ यूएपीए की धारा के तहत चार्जशीट फाइल की है. ये लोग 'रेफरेंडम 2020' इस शब्द का इस्तेमाल कर खालिस्तानी मूवमेंट को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चलाने की कोशिश कर रहे थे.


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