हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने बृहस्पतिवार को कहा कि लोकतंत्र में अपनी मांगों को मनवाने के लिए ‘दबाव डालने वाली युक्तियों’ की कोई जगह नहीं है. उनकी यह टिप्पणी नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हजारों किसानों के संदर्भ में आई है.
प्रदर्शन करने के कई तरीके हो सकते हैं
बता दे कि आगामी नगर निगम चुनावों के संबंध में पंचकूला में एक सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा, ‘‘ इन दिनों हम यहा ‘तमाशा’ देख रहे हैं, कृषि कानूनों को वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है. वे कह रहे हैं कि हम यहां बैठे हैं और आप कानून वापस ले लें. क्या यह लोकतंत्र है.’’ उन्होंने कहा कि प्रदर्शन करने के और भी तरीके हो सकते हैं. संसद में, राज्य विधानसभा में विरोध दर्ज किया जा सकता है और विरोध मीडिया के माध्यम से तथा लोगों के बीच जाकर भी हो सकता है.
विपक्ष कर रहा किसानों को गुमराह
मुख्यमंत्री ने आगे कहा, ‘‘ हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है और अपनी बात रखने का तरीका भी होता है.’’ लेकिन अपनी मांगों को मनवाने के लिए ‘दबाव की युक्तियों’ के इस्तेमाल की कोई जगह नहीं है. उन्होंने विपक्ष पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया.
कांग्रेस ने सीएम के बयान की आलोचना की
वहीं खट्टर के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट में कहा, ‘‘मुख्यमंत्री जी, अन्नदाताओं के जायज संघर्ष को तमाशा करार देकर आपने खेती विरोधी सोच का परिचय दिया है. शर्म आनी चाहिए आपको, इस तरह के शब्दों पर. अंबाला में काले झंडे दिखाने वालों पर तो आप हत्या के प्रयास तक का मामला दर्ज कराते हैं. अहंकार छोड़, माफ़ी मांगिए.’’
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