चेन्नईः तमिलनाडु में एक्ट्रेस से नेता बनीं खुशबू सुंदर ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष को लिखे अपने पत्र में खुशबू सुंदर ने कहा, "कांग्रेस पार्टी में कुछ लोग ऊपर लेवल पर बैठे हैं, जिनका जमीनी हकीकत या लोगों से कोई जुड़ाव नहीं है. वही नियम बना रहे हैं."
कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देने के बाद अब खुशबू सुंदर के बीजेपी में शामिल होने की अटकलें और तेज हो गई हैं. खुशबू ने 2014 में डीएमके छोड़ उसकी गठबंधन पार्टी कांग्रेस का हाथ थामा था.
तमिलनाडु चुनाव के लिए BJP को लोकप्रिय चेहरे की तलाश
खुशबू सुंदर राज्य में काफी लोकप्रिय रही हैं. हालांकि 2014 में कांग्रेस के सत्ता से बाहर होने के बाद से उनका राजनीतिक करियर का ग्राफ कुछ खास नहीं रहा है. यह तो साफ है कि बीजेपी तमिलनाडु में होने वाले 2021 के विधानसभा चुनावों के लिए चेहरा ढूंढ रही है. अभी भी पार्टी में कोई ऐसा बड़ा चेहरा नहीं है जो कि बीजेपी कि छवि को राज्य में बदल सकें.
लोकप्रिय स्टार खुशबू इससे पहले भी कई पार्टियों से जुड़ी हैं. वह 2010 में DMK में शामिल हुई थीं, जब DMK सत्ता में थी. उस समय, अभिनेत्री ने कहा था, "मुझे लगता है कि मैंने सही निर्णय लिया है. मुझे लोगों की सेवा करना बहुत पसंद है. मैं महिलाओं की भलाई के लिए काम करना चाहती हूं." जिसके चार साल बाद ही उन्होंने डीएमके छोड़ कांग्रेस का हाथ थामा. 2014 में वह सोनिया गांधी से मिलने के बाद कांग्रेस में शामिल हो गईं. अभिनेत्री ने तब कहा था, मुझे लगता है कि मैं अपने घर में हूं. कांग्रेस एकमात्र ऐसी पार्टी है जो भारत के लोगों के लिए अच्छा कर सकती है और देश को एकजुट कर सकती है.
जिसके बाद माना का रहा था कि 2019 में लोक सभा का टिकट उन्हें दिया जाएगा. लेकिन खुशबू सुंदर को 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए टिकट नहीं दिया गया था. जबकि राज्य में डीएमके-कांग्रेस गठबंधन ने बड़ी जीत दर्ज की थी. न ही उन्हें राज्यसभा के लिए चुना गया.
तमिलनाडु के लोगों ने हमेशा ही अभिनेता से नेता बने नेताओं को चुना
तमिलनाडु में सिनेमा स्टार से राजनीति की राह पकड़ने की परंपरा दशकों पुरानी है. इसमें कोई दो राय नहीं कि तमिलनाडु के लोगों ने हमेशा ही अभिनेता से नेता बने नेताओं को चुना है. राज्य में पहले से ही बीजेपी के लिए चुनौतियां रही है.
द्रविड़ हार्टलैंड में भगवा पार्टी हमेशा से ही बैकफुट पर रही है. कभी राज्य में हिंदी विरोध को लेकर द्रविडियन पार्टियों के निशाने पर तो कभी हिंदुत्व के एजेंडे को लेकर निशाने पर रही है. तमिलनाडु में बीजेपी को हमेशा से ही हिंदी पार्टी के तौर पर माना गया है. यही कारण है कि बीजेपी यहां कभी भी अपना खाता खोलने में कामयाब नहीं रही. बीजेपी को फिलहाल राज्य में एक बड़े चेहरे की जरूरत है ऐसे में माना जा रहा है कि चुनाव से पहले पार्टी रजनीकांत से बातचीत भी कर सकती है. साथ ही खुशबू सुंदर का पार्टी से जुड़ना एक बड़े बूस्ट के तौर पर देखा जाएगा. लेकिन खुशबू राज्य में पार्टी का परसेप्शन बदलने में कितनी कामयाब होती है यह देखना दिलचस्प होगा.
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